नेपाल की राजधानी काठमांडू में सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद नेपाल की राजधानी की सड़के वीरान पड़ी हुई है। रविवार को धमाकों के बाद पूर्व माओवादी समूह ने एक दिन की हड़ताल करने की मांग की थी। सड़कों पर जनता की आवाजाही, गाड़ियों की संख्या आम तौर से काफी कम रही और कुछ स्कूलों और दफ्तर को बंद रखा गया था।
हड़ताल को दरकिनार कर कॉलेज गए छत्र उज्जवल नेअपने ने कहा कि “मैं बेहद भयभीत हूँ। छात्र होने के नाते मुझे यूनिवर्सिटी आने की जरुरत थी। मुझे पूरे कॉलेज में चलना है। बम के हर जगह प्लांट किये जाने का संदेह है, यहां तो सड़कों पर चलने में भी डर लग रहा है।”
रविवार को हुए धमको के पीछे माओवादी समूह का हाथ बताया जा रहा है। सरकार ने 12 मार्च को इस समूह को प्रतिबंधित कर दिया था। मार्च में इस समूह ने नाखु में स्थित एक निजी टेलीकॉम कंपनी एन्सेल को निशाना बनाया था और इसमें एक नागरिक की मौत हो गयी थी।
अलबत्ता, इस समूह ने अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पुलिस को इस हमले के पीछे इस समूह के होने का शक है क्योंकि वारदात की साइट से इस समूह की प्रचार सामग्री बरामद हुई थी। इस पार्टी के एक मददगारी व्यक्ति को हिरासत में ले लिए गया है।
रविवार को चार विभिन्न स्थानों पर बम की खोज और गिरफ्तार से इस समूह के खिलाफ बढ़ गयी है और आवाम ने सरकार को इस समूह के साथ बैठकर बातचीत करने का सुझाव दिया है। काठमांडू के निवासी राम सापकोटा ने कहा कि “मौजूदा वक्त में नेपाल में सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह उठ रहे हैं। सरकार को सम्बंधित समूह (जो मौजूदा हालातो के पक्ष में नहीं है) के साथ बातचीत करनी चाहिए। विरोधी पक्ष को भी सरकार के साथ बातचीत के लिए आगे आना चाहिए और शान्ति बरक़रार रखनी चाहिए।”
सोमवार को बम डिस्पोजल टीम ने बसपार्क क्षेत्र में बम को डिफ्यूज कर दिया था। काठमांडू के आलावा कई सार्वजानिक स्थानों और राज्यमार्गो से भी बम बरामद किये गए थे।