चंद्रकांत पंडित जब विदर्भ क्रिकेट टीम के कोच बने थे, तब कोई इसे तवज्जो नहीं देता था। पंडित की देखरेख में टीम ने जैसे ही लगातार दो बार रणजी ट्रॉफी जीता, इसकी गिनती मजबूत टीमो में होने लगी। अब आलम यह है कि विदर्भ की टीम नौ दिसंबर से शुरू हो रहे रणजी सीजन में बड़ी टीम के रूप में शिरकत करने जा रही है।
विदर्भ ने जब पिछले साल रणजी खिताब जीता था, तब फाइनल में वसीम जाफर और उमेश यादव जैसे अनुभवी खिलाड़ी भी थे, लेकिन ईरानी ट्रॉफी में इन दोनों के बिना भी टीम ने खिताब जीता। पंडित ने माना कि बड़े खिलाड़ियों की कमी निश्चित तौर पर खलती है लेकिन इस टीम की विशेषता यह है कि इसने दिग्गजों के बिना भी अच्छा किया है।
रणजी ट्रॉफी के अपने पहले मैच में विदर्भ को आंध्र प्रदेश से भिड़ना है। पंडित ने सीजन की शुरुआत से पहले आईएएनएस से टीम की तैयारियों पर बात की।
पंडित से जब टीम की ताकत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हमारी जो प्लानिंग है। जो प्रैक्टिस है। जो अनुशासन है। जो प्रक्रिया है, उसे सभी खिलाड़ी बहुत अच्छे से फॉलो कर रहे हैं। इस टीम की यही ताकत है कि हमारी जो रणनीति है उसे अच्छे से लागू करना इस टीम की सबसे अच्छी बात है।”
उमेश यादव को पहले मैच के लिए घोषित टीम में जगह नहीं मिली है। वह भारत की टेस्ट टीम का हिस्सा हैं और हाल ही में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलकर लौटे हैं।
उमेश की कमी पर पंडित ने कहा, “एक चीज मैं हमेशा कहता हूं कि अच्छे खिलाड़ी कमी खलती है लेकिन फिर भी खेलना होता है। उमेश, फजल, जाफर तीनों खिलाड़ी टीम के पिलर हैं और वो रहते हैं तो टीम को काफी मदद मिलती है, लेकिन इसके बाद भी हम अच्छा करते आए हैं। पिछले सीजन उमेश लगातार हमारे साथ नहीं थे, ईरानी ट्रॉफी में जाफर भी नहीं खेले थे, बावजूद बाकी खिलाड़ियों ने अच्छा किया था और ईरानी ट्रॉफी भी जीती थी। यह चीज अच्छी है हमारी टीम में।”
पंडित भी इस बात से वाकिफ हैं और कि अब टीम से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं लेकिन वे अपनी टीम को किसी तरह के दबाव में रखना नहीं चाहते इसलिए वे खिताब बचाने की सोच से पहले टीम की अच्छी शुरुआत करने की सोच खिलाड़ियों में डाल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “पहली बार जब जीता (खिताब) तब भी डिफेंड करने की बात हो रही थी और दूसरी बार जीता है तो अभी भी डिफेंड करने की बात हो रही है, लेकिन मैं समझता हूं कि इस बात का दबाव लेकर जाना सही नहीं है। इससे खिलाड़ियों पर बेवजह का दबाव बढ़ता है। डिफेंड तो करना है लेकिन जरूरी है कि हम किस तरह से इस टूर्नामेंट की शुरुआत करते हैं, वो ज्यादा अहम है। आगे जाकर जिस चीज को लेकर हम कुछ कर नहीं सकते उसके बारे में सोचकर हम अपनी शुरुआत खराब नहीं करना चाहते। इसलिए हम अपनी शुरुआत पर ध्यान देंगे।”
विदर्भ ने जब 2017-18 में पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता था तो कहा जा रहा था कि यह तुक्का है। पंडित की इस टीम ने इस बात को गलत साबित किया और अगले सीजन यानि 2018-19 में एक बार फिर खिताब जीतकर बताया कि पहली खिताबी जीत तुक्का नहीं थी। 2018-19 में विदर्भ ने ईरानी ट्रॉफी का खिताब भी जीता।
इन खिताबी जीतों के बाद अब यह टीम सभी की नजरों में चढ़ गई है। न कोई इसे तुक्के वाली टीम समझ रहा है और न ही कोई इसे हल्के में ले रहा है। विदर्भ की टीम सभी की निगाहों में जिसका मतलब है कि फैज फजल की कप्तानी वाली इस टीम को बाकी टीमें अब पहले से ज्यादा गंभीरता से लेंगी।
पंडित से पूछा गया कि इस सीजन यह एक अलग चीज होगी और क्या वो इसके लिए तैयार हैं? इस पर भारत के इस पूर्व टेस्ट विकेटकीपर ने कहा, “यह हर टीम करेगी क्योंकि यही होता है। जब आप जीतते हैं तो थोड़ा सा फोकस आप पर आ जाता है और बाकी टीमें गौर से आपको देखने लगती हैं। यह उनके लिए थोड़ा सा चैलेंज होता है कि विपक्षी टीम भी अपनी तैयारी करके आती है। इसे लेकर हमारी भी तैयारी होनी चाहिए और इस पर हम सोचेंगे जरूर।”