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    वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए शनिवार को आम बजट पेश करने के बाद आईएएनएस-सीवोटर के सर्वेक्षण में करीब 44.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि यह बजट बड़े पैमाने पर गरीबों के पक्ष में है। सर्वेक्षण में करीब 32.9 प्रतिशत लोगों ने बजट को ‘थोड़ा बहुत’ समाज के कमजोर वर्ग के पक्ष में झुका हुआ माना, वहीं 17.1 प्रतिशत लोगों का मानना है कि यह गरीबों के पक्ष में नहीं है।

    बाकी 5.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस बारे में कुछ भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

    सीतारमण ने बजट आकांक्षी भारत, आर्थिक विकास और संवेदनशील समाज की भावना पर केंद्रित बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि बजट का उद्देश्य लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाना है।

    आकांक्षी भारत में कृषि, ग्रामीण विकास, स्वच्छता और शिक्षा शामिल हैं, जिसके लिए 4.82 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वहीं बीते वर्ष इसके लिए 4.67 लाख करोड़ रुपये जारी किए गए थे।

    संवेदलशील समाज की भावना में महिला व बाल विकास, समाजिक कल्याण, संस्कृति और पर्यावरण शामिल हैं, जिसके लिए 62,626 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पिछले वर्ष इसके लिए 59,036 करोड़ जारी किए गए थे।

    किसानों के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान(पीएम-केयूएसयूएम)’ से 20 लाख किसानों को सोलर पंप लगाने में मदद मिलेगी।

    बजटीय भाषण में 15 लाख करोड़ रुपये के कृषि क्रेडिट लक्ष्य का दावा किया गया है।

    वहीं, बजट पूर्व सर्वेक्षण में जब लोगों से पूछा गया कि क्या यह बजट पूंजीवादियों के पक्ष में होगा, तो करीब 40.9 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बड़े पैमाने पर यह बजट पूंजीपतियों के पक्ष में होगा।

    करीब 35.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि बजट थोड़ा बहुत बड़े उद्योगों की ओर झुका रहेगा, जबकि 16 प्रतिशत ने ऐसे किसी भी झुकाव से इनकार किया था। वहीं 7.2 उत्तरदाताओं ने कहा था कि इस बारे में उनकी कोई राय नहीं है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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