मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट नए साल में एक फरवरी को पेश किया जा सकता है। चूंकि केंद्रीय बजट को लागू करने में केवल दो माह का समय शेष रह गया है। ऐसे में वित्त मंत्रालय ने 2018-19 के केंद्रीय बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए प्रत्यक्ष कर दरों में कुछ परिवर्तन देखने को मिल सकता है। मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि पेंशनर्स के कर में भी छूट दिए जाने पर काम किया जा रहा है।
मतलब साफ है, मोदी सरकार फरवरी मेें पेश होने वाले अपने इस आम बजट में कोई बड़ी घोषणा करने के बजाय पिछले तीन सालों में लागू संरचनात्मक सुधारों को ही आगे बढ़ाने पर जोर देगी। बजट निर्माण की प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी का कहना है कि, सरकार ने पिछले तीन सालों में अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए कुछ बड़े संरचनात्मक बदलाव किए हैं, ऐसे में किसी भी नई नीतिगत घोषणा की उम्मीद कम है, यह विराम का समय है।
आम बजट में मोदी सरकार लक्ष्य राष्ट्रव्यापी सड़क निर्माण प्रक्रिया को तेज करने तथा ‘सभी के लिए आवास’ योजना के तहत गरीबों के लिए करीब 10 मिलियन घरों का निर्माण करना होगा। इन आवासों के निर्माण की समय सीमा दिसंबर 2018 तय की जा सकती है। यही नहीं जीएसटी स्लैब्स में और ज्यादा सुधार तथा राजस्व संग्रह को और आसान बनाने की प्रक्रिया को आम बजट में शामिल किया जा सकता है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, जीएसटी और नोटबंदी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए दो बड़े कदम हैं। यहीं नहीं सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र में भी आवश्यक सुधार किए हैं। भ्रष्ट कर्जदारों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने तत्काल प्रभाव से दिवालिया कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं।
विदेशी निवेश प्रक्रिया, उर्वरक सेक्टर तथा कारोबार को आसान बनाने पर भी काफी काम किया गया है। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार दिखना शुरू हो गया है। अर्थव्यवस्था में यह सुधार अगले एक सालों में खुलकर सामने आ जाएंगे।
बजट-2018 में जीएसटी स्लैब सुधार
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार जीएसटी स्लैब्स के आगामी सुधारों को बजट 2018 में शामिल किया जा सकता है। एक जुलाई से लागू किया जाने वाला जीएसटी स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े कर सुधार के रूप में माना जाता है। इस प्रकार बजट 2018 में प्रत्यक्ष कर, सीमा शुल्क तथा केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सर्विस टैक्स पर विशेष काम किया जा सकता है।
जीएसटी से अर्जित राजस्व को अगले वित्तीय वर्ष बजट में शामिल किया जा सकता है। इसके लिए दो सेट प्रस्तुत किए जा सकते हैं। अप्रैल से जून के बीच का पहला सेट जिसमें आबकारी, सीमा शुल्क और सेवा कर को शामिल किया जाएगा। दूसरे सेट जुलाई से मार्च तक का होगा, जिसमें जीएसटी और कस्टम ड्यूटी को शामिल किया जाएगा।
जीडीपी ग्रोथ और सरकार
गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसद रही, जो कि अपने तीन साल के पुराने स्तर पर वापस लौट आई है। आप को जानकारी के लिए बता दें कि वित्तीय वर्ष 2017 की पहली तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.9 थी, जो खिसककर वित्तीय 2018 की पहली तिमाही में 5.7 फीसदी पर आ गई थी। जबकि रायटर ने अपने सर्वेक्षण में वित्तीय वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही जीडीपी ग्रोथ में 6.4 फीसदी का अनुमान लगाया था।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट का यह सिलसिला नवंबर 2016 में लागू विमुद्रीकरण के बाद से देखने को मिला है। जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मीडियाकर्मियों से रूबरू होते हुए कहा कि सरकार ने जीएसटी और विमुद्रीकरण के रूप में दो बड़े सरंचनात्मक सुधार किए, जिसका सकारात्मक परिणाम हमारे सामने है।