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    बिजली की लागतें कम कर सकती है मोदी सरकार

    साल 2018 का आम बजट पेश होने में सिर्फ एक महीने का समय और शेष है। फिक्की ने संकेत दिया है कि बजट-2018 में केंद्र सरकार नियमों में कुछ बदलाव करते हुए बिजली की लागत को कम करेगी। बजट-2018 को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि जीएसटी कार्यान्वयन के बाद संसद में पेश होने वाला पहला बजट है।

    चूंकि टैक्स प्रणाली में व्यापक स्तर पर बदलाव किया गया है, इसलिए उद्योग जगत के साथ-साथ आम आदमी भी इस बजट से काफी उम्मीदें लगाकर बैठा हुआ है। मौजूदा समय भारत में बिजली महंगाई एक बड़ा मुद्दा है, इसे मुद्दे को हल करते ही सरकार का मौजूदा परिदृश्य जनता में एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

    ऐसे में मोदी सरकार लोगों के लिए बिजली की लागत में कटौती कर सकती हैै। आपको जानकारी के लिए बता दें कि एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू की गई। भारत में बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए कोयले का भारी मात्रा में आयात किया जाता है, क्योंकि देश में घरेलू कोयले की कमी है।

    हमारे देश में जनता से बिजली आपूर्ति के बदले जितनी लागत वसूली जाती है, उसके पीछे बिजली कंपनियों को चलाने के लिए कायले की खरीददारी है। इस प्रकार जाने अनजाने बिजली उत्पादन लागत में बढ़ोतरी होती रहती है। जिससे देश का आम आदमी प्रभावित होता है।

    फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार, थर्मल पॉवर प्लांट के लिए आयातित कोयले पर लगने वाला बीसीडी और आईजीएसटी बिल्कुल शून्य होना चाहिए। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कोयले पर लगने वाले 5 फीसदी आईजीएसटी को घटाकर 2 फीसदी किया जा सकता है।

    गौरतलब है कि 5 फीसदी आईजीएसटी के चलते बिजली उत्पादन पहले ही कम हो चुका है। जानकारी के अनुसार, जीएसटी के तहत कोयले पर लगने वाला सेस 400 रुपये प्रति टन बना हुआ है।

    जीएसटी एक्ट 2017 के अनुसार, बिजली लागत कम करने से राजस्व को होने वाले नुकसान की भरपाई अन्य जीएसटी प्रोडक्ट पान मसाला, तंबाकू, मिनरल वॉटर आदि से प्राप्त होने वाले राजस्व से की जाएगी।