राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा स्कीम ने माना कि केंद्रीय बजट 2018-19 में, 10 करोड़ गरीब किसान परिवारों का 5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा करवाने की सरकार की नीति से देश के 40% जनसंख्या को लाभ मिलेगा।
इस नीति से उम्मीद जताई जा रही है कि, छोटे शहरों और गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो पाएंगी।
एक्सपर्ट्स द्वारा सराही गई यह स्कीम इसके लागू करने के तरीके, नियमों और बजट को लेकर बहस का मुद्दा बनी हुई है।
इस स्कीम की लागत बहुत ही अधिक है और इसके लागू करने के तरीके और नियम अभी साफ नही है। अभी इस स्कीम के लिए केवल 2,000 करोड़ रुपए है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आश्वासन दिए हैं कि यह स्कीम पूरी तरह राज्य के खजाने पर चलाया जाएगा। शुरुआत में 2,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए है। स्कीम के आगे बढने पर आवश्यकता अनुसार और फंड दिए जाएंगे।
कल अरूण जेटली ने बजट के भाषण में कहा कि, “यह यह बात तो हम सब जानते है कि हमारे देश में हजारों परिवारों को हास्पिटल में बेहतर इलाज पाने के लिए या तो उधार लेना पड़ता है, या अपनी संपत्ति को बेचना पड़ता है। सरकार ऐसे परिवारों के बारे में चिंतित है। इसलिए हमने ऐसे परिवारों के उद्धार के लिए यह स्कीम चालू की है।”
वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि, राज्य और केंद्र सरकारों को अपने-अपने संसाधनों को साथ लेकर चलना होगा। इससे गरीबों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकती है।
उन्होंने गांव-देहात में भी अत्याधुनिक तकनीक वाले अस्पताल होने पर जोर दिया।