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    आज पेश हुए बजट 2021 के बाद इस पर प्रतिक्रियाएं आने का दौर शुरू हो चुका है। विपक्ष जाहिर है कि इस बजट से नाखुश ही नजर आ रहा है। राहुल गांधी ने इस बजट पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि सरकार अपने उद्योगपति दोस्तों को भारत के अधिकांश संपत्ति सौंपना चाहती है। राहुल गांधी बजट पेश होने के दौरान जब संसद में हंगामा हुआ, उस वक्त तो शांत रहे। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने केंद्र के खिलाफ बयान दिया। राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार लोगों को पैसे देने के बारे में भूल गई है और सरकार की योजना है कि जल्द ही अपने पूंजीपति मित्रों को देश की संपत्ति सौंप दी जाए।

    इस बजट में केंद्र सरकार ने लक्ष्य रखा है कि इस साल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में अपनी हिस्सेदारी को बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे। इसमें वित्तीय संस्थानों की हिस्सेदारी भी शामिल है। इसी बात को विपक्ष ने टारगेट किया है। अगले वित्त वर्ष 2 सरकारी और एक बीमा बैंक में सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेच सकती है। बहुत सी कंपनियों में विनिवेश के सरकार के फैसले को विपक्षी पार्टियां आड़े हाथों ले रही हैं। इस कारण सरकार पर भी लगातार हमले बोले जा रहे हैं।

    वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि यह बजट आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत आधार प्रदान करेगा लेकिन विपक्ष ने इसे निराशाजनक बताया है। भाजपा का कहना है कि इस बजट में हर वर्ग के लिए कुछ ना कुछ प्रावधान किया गया है लेकिन विपक्ष ने इसको कोरे वादे करार दिया है। जेपी नड्डा ने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा है कि यह बजट सभी वर्गों के भले के लिए बनाया गया है। विपक्षी पार्टियों का निशाना है कि यह बजट आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो की तरह डिजाइन किया है।

    तृणमूल कांग्रेस ने भी बजट पर निशाना साधते हुए कहा है कि भारत का पहला पेपरलेस बजट पहला दृष्टि रहित बजट भी है। शिवसेना ने इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया है। सैलरी क्लास को टैक्स में राहत न देने के मुद्दे को शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी उठाकर पूरे बजट को नकार दिया है। कुल मिलाकर बजट पर नतीजा यह है कि विपक्ष को यह बजट रास नहीं आया है।

    किसी ने इसे चुनावी एजेंडा बताया है तो किसी ने उद्योगपतियों के विकास का बजट, हालांकि बीजेपी अपनी तरफ से इस बजट की साख बचाने में लगी हुई है। बीजेपी का कहना है कि कोरोना काल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था ने जितना भी दबाव झेला है, उसके बीच में यह बजट एक आशा की किरण माना जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि यह बजट 2021 में आशा की किरण लेकर आएगा। हालांकि बजट के पेश होने के बाद संसद में सेंसेक्स में उछाल देखा गया है। वही किसानों को भी 16.5 लाख करोड़ के लोन को देने की बात का प्रावधान इस बजट में है। इस कदम को किसान आंदोलन के बाद बीजेपी के द्वारा अपनी छवि चमकाने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा सकता है।

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