भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री द्वारा पेश किए आम बजट 2018 पर सवाल उठाए है। बजट में की गई लुभावनी योजनाओं पर मनमोहन सिंह ने कहा कि इन योजनाओं का तय समय पर पूरा होना संभव हीं नहीं है। दरअसल जेटली ने कहा था कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। इस पर सिंह ने कहा कि ये वादा सिर्फ खोखला आश्वासन है। ऐसा होना संभव ही नहीं है।
सिंह ने कहा कि जब तक कृषि विकास दर 12 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती है, तब तक ऐसा होना संभव नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री ने राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई है। सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि मुझे नहीं लगता था कि ये बजट आगामी चुनावी लाभ द्वारा “प्रेरित” है। लेकिन मुझे इस बात की चिंता है कि बजट में वित्तीय अंकगणित में गलती है।
राजकोषीय घाटे को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि इस घाटे को सरकार द्वारा किस तरह से पूरा किया जाएगा। जेटली ने भाषण में कहा था कि खरीफ की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य कम से कम उत्पादन लागत का 1.5 गुना किया जाएगा। जेटली ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए किसानों की आय बढ़ाने का वादा बजट में किया।
साथ ही जेटली ने कहा था कि केंद्र सरकार जैविक खेती को एक “बड़े पैमाने पर” बढ़ावा दे रहा है। किसानों के लिए जेटली ने वादे तो खूब किए है लेकिन उन्हें वास्तविकता में लागू करना बेहद मुश्किल माना जा रहा है।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक आर्थिक विशेषज्ञ भी है। उनके मुताबिक ये बजट सिर्फ खोखले वादों पर टिका हुआ है। हालांकि सिंह ने इस बजट को अगले साल चुनाव होने से प्रेरित वाला नहीं बताया है।