बांग्लादेश से 24 रोहिंग्या शरणार्थियों की मलेशिया में तस्करी की जा रही थी। पुलिस के मुताबिक राजधानी ढाका से मलेशिया में तस्करी की जा रही थी। पुलिस ने चार तस्करो को गिरफ्तार कर लिया है जबकि तस्करो से दर्ज़नो फर्जी बांग्लादेशी पासपोर्ट को जब्त कर लिया गया है।
रोहिंग्या महिलाओं की तस्करी
अधिकारीयों के मुताबिक, मलेशिया भेजे जा रहे 24 रोहिंग्या शरणार्थियों में 22 महिलायें शामिल थी जिनकी उम्र 15 और 22 के बीच में थी। इस्लाम ने बताया कि तस्कर रोहिंग्या मुस्लिमों को कॉक्स बाजार से ढाका लेकर आये थे और उन्हें एक घर में बंद कर के रखा था।
रोहिंग्या शरणार्थियों को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व की सबसे अधिक सताये नागरिक करार दिए था। साल 2012 से सांप्रदायिक हिंसा में दर्ज़नो लोगो की हत्या की गयी थी और अभी भी यह समुदाय भय के साये में जीवन यापन कर रहा है। म्यांमार की सेना के अत्याचारों से बचने के लिए रोहिंग्या मुस्लिमों का समुदाय भागकर बांग्लादेश की सरहद पर आया था।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, 750000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार से भागकर बांग्लादेशी में शरण के लिए आये थे। म्यांमार की सेना ने अगस्त 2017 में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अभियान शुरू किया था। जिसमे उनके घरो को आगजनी किया गया, महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्याऐं की गयी थी।
हत्या और आगजनी
ओंटारियो इंटरनेशनल डेवलपमेंट एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 अगस्त 2017 से अभी तक म्यांमार की सेना ने करीब 24000 रोहिंग्या मुस्लिमों की हत्या की है। 34000 से अधिक लोगो को आग में झोंक दिया गया और 114000 अन्य को बुरी तरह मारा गया था। अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने यह रिपोर्ट ‘फाॅर्स माइग्रेशन ऑफ़ रोहिंग्या: द अनटोल्ड एक्सपीरियंस’ में की थी।
रिपोर्ट के अनुसार, करीब 18000 रोहिंग्या महिलाओं और लड़कियों का म्यांमार की सेना और पुलिस ने बलात्कार किया था और 115000 रोहिंग्या समुदाय के घरो को आगजनी किया था जबकि 113000 अन्य घरो में तोड़फोड़ की थी।
यूएन के दस्तावेजों में बच्चो और शिशुओं के साथ बलात्कार और उनकी हत्या भी शामिल थी और उनको म्यांमार की सेना द्वारा क्रूरता से पीटा जाता था और गायब कर दिया जाता था। रिपोर्ट में यूएन जांचकर्ताओं ने कहा कि “ऐसी कार्रवाई मानवता के खिलाफ है और नरसंहार का इरादा रखने वाली है।