बांग्लादेश के पूर्व प्रमुख न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिंह ने भारत से आग्रह किया कि उनके देश में कानून और लोकतंत्र को बनाये रखने में मदद करे। उन्होंने कहा भारत को आवाम का निरंकुश अवामी सरकार को सत्ता पर बैठाने के पीछे के मकसद को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
बांग्लादेश के प्रथम हिन्दू मुख्य न्यायाधीश ने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने बांग्लादेश की सरकार को अलोकतांत्रिक और सत्तावादी बताया।
बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सुरेंद्र कुमार सिंह के आरोपो को बेबुनियाद बताते हुए उन पर भ्रष्टाचार का दोष मढ़ा।
सुरेंद्र कुमार सिंह ने अपनी किताब ‘ए ब्रोकन ड्रीम: रूल ऑफ लॉ, ह्यूमन राइट एंड डेमोक्रेसी ‘ का विमोचन किया। हाल में वह अमेरिका में रह रहे हैं।
उन्होंने कहा यदि भारत इस निरंकुश सरकार का समर्थन करेगी तो यह सरकार आवाम की आवाज को दबाते रहेगी और एक दिन जनता इसके खिलाफ विद्रोह करेगी।
सुरेंद्र सिंह ने सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और ताकत के अनुचित इस्तेमाल के आरोप को निराधार बताया।
उन्होंने कहा भारत को सत्तावादी सरकार का समर्थन नही करना चाहिए। ऐसा करने से जब आवाम विद्रोह करेगी तो भारत बांग्लादेश में अपनी इज़्ज़त खो बैठगा।
उन्होंने कहा उन्हें मालूम है कि भारत सरकार मुस्लिम कट्टरपंथियों और बांग्लादेशी नेताओं को लेकर चिंतित है। सुरेंद्र सिंह के राजनीतिक मंसूबों के बाबत उन्होंने कहा कि उन पर राजनीतिक मंसूबे पालने के आरोप सरासर गलत है। वह बांग्लादेश में लोकतंत्र और नियम कानून कायम रखना चाहते हैं।
अपनी किताब में सुरेंद्र सिंह ने अदालत से इस्तीफा देने और बांग्लादेश छोड़ने का पूर्ण विवरण दिया है। उन्होंने कहा कि वह भारत गए थे और सरकार को बांग्लादेश की समस्याओं से अवगत कराया था। भारत सरकार का निरंकुश सरकार को समर्थन देना गलत है। उन्होंने भारत को आगाह करते हुए कहा कि भारत को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
उन्होंने दावा किया कि वह भारत मे नरेंद्र मोदी से मिले थे और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार और धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने के विषय में अवगत कराया था। उन्होंने कहा सत्ता पर काबिज सरकार निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव को मात दे देगी।