फ्रांस ने जैश ए मोहम्मद के संस्थापक और सरगना मसूद अज़हर की अपने देश में स्थित संपत्ति को जब्त करने का निर्णय लिया है। फ्रांस ने कहा कि वह मसूद अज़हर को यूरोपीय यूनियन की सूची में शामिल करने पर भी विचार कर रहा है, जिसमे आतंकवाद में संलिप्त संदिग्धों का नाम शामिल होता है।
क्या कहा फ्रांस नें?
फ्रांस की सरकार नें एक बयान जारी किया है जिसमें मसूद अजहर की संपत्ति को जब्त करने और अन्य क़दमों का उल्लेख किया है।
फ्रांस नें कहा है,
पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को एक आतंकवादी घटना हुई, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान में स्थित जैस-ए-मोहम्मद नें ली थी। यह संस्था संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित एक अंतराष्ट्रीय आतंकवादी संस्था है।
फ्रांस आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में हमेशा भारत के साथ रहा है और रहेगा।
फ्रांस नें यह फैसला किया है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर मसूद स्तर की संपती को जब्त करके उसके खिलाफ एक्शन लेगा। आतंरिक मंत्रालय और सम्बंधित सरकारी संस्थाओं नें यह फैसला लिया है।
हम यह भी कोशिश करेंगे कि हम अन्य यूरोपीय देशों के साथ मिलकर मसूद अजहर को यूरोपीय देशों की आतंकवादी सूचि में उसका नाम जोडें।
France sanctions Masood Azhar at the national level. (1/5)
Joint Press Release from the French ministries of Europe and Foreign Affairs @francediplo_EN, Economy and Finance @Economie_Gouv and the Interior @Place_Beauvau.
— Emmanuel Lenain 🇫🇷🇪🇺 (@FranceinIndia) March 15, 2019
मसूद अज़हर ने भारत में कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में 40 सीआरपीएफ के जवानों की मृत्यु हुई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में बुधवार देर रात को चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल होने से बचा लिया था।
France has always been and always will be by India’s side in the fight against terrorism.
France has decided to sanction Masood Azhar at the national level by freezing his assets in application of the Monetary and Financial Code. (3/5)— Emmanuel Lenain 🇫🇷🇪🇺 (@FranceinIndia) March 15, 2019
यह चौथी दफा है जब चीन ने तकनीकी आधार पर प्रस्ताव को खारिज कर दिया हैं। इस मसौदे को यूएन के अन्य स्थायी सदस्यों ने प्रस्तावित किया था। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे।
भारत ने इस मसौदे पर निराशा व्यक्त की है, लेकिन आतंकी सरगना को न्याय के कठघरे में खड़ा करने के लिए सभी उपयुक्त मार्गों को इस्तेमाल करने की बात कही है। जो हमारे नागरिकों पर आतंकी हमला करता रहा है।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि “आईएसआईएल और अलकायदा सेंक्शन कमिटी का नो ऑबजेक्शन पीरियड यानि विरोध करने की समयसीमा 13 मार्च को खत्म हो गई थी। लेकिन इसमें मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी सूची में डालने का हमारा मकसद पूरा नही हो सका क्योंकि एक सदस्य ने इस पर अडंगा लगा दिया है।
चीन ने तीन बार मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने पर अड़ंगा लगाया है। संयुक्त राष्ट्र नें जैश-ए-मोहम्मद को साल 2001 में वैश्विक अन्तराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। भारत के मुताबिक यूएन में मसूद अज़हर को बचाने वाला मात्र चीन ही है।
सफाई पेश करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने पत्रकारों से कहा कि “यूएन सुरक्षा परिषद् की 1267 कमिटी ने किसी आतंकी संगठन और व्यक्ति को वैश्विक सूची में शामिल करने के लिए एक मानदंड तय कर रखा है। इस सूची में शामिल करने के आग्रह पर चीन व्यापाक और गहरी समीक्षा कर रहा है। हमें अभी अधिक समय की जरुरत है। इसलिए हमने इस पर टेक्निकल होल्ड लगा दिया था।”
भारतीय विदेश मंत्रालय नें किया स्वागत
We welcome the decision taken by France to sanction Masood Azhar, Chief of Jaish-e-Mohammed, a Pakistan-based & UN proscribed terrorist organisation; and responsible for the Pulwama terrorist attack @Indian_Embassy https://t.co/qimxRid9Tl
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) March 15, 2019
फ्रांस के इस फैसले के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय नें फ्रांस का धन्यवाद किया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार नें ट्विटर पर लिखा, “हम जैश-ए-मोहम्मद के हेड मसूद अजहर पर फ्रांस द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करते हैं। जैश-ए-मोहम्मद एक पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन है, जो पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार थी।”
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नें भी इस बात का जिक्र किया,
In 2019, the proposal was moved by USA, France and UK and supported by 14 of the 15 UN Security Council Members and also co-sponsored by Australia, Bangladesh, Italy and Japan – non members of the Security Council. /5
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) March 15, 2019