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    बुर्का

    संयुक्त राष्ट्र की मानवधिकार समिति ने मंगलवार को फ्रांस में बुर्का पर प्रतिबन्ध की आलोचना की थी। यूएन की समिति ने कहा कि फ्रांस बुर्का प्रतिबंधित करके मानवधिकार कानून का उल्लंघन कर रहा है। समिति ने बताया कि सार्वजानिक स्थान पर बुर्का पहनी दो महिलाओं से जुर्माना वसूलना उनके अधिकारों की अवहेलना करना था।

    यूएन समिति ने कहा कि महिलाओं को मुआवजा दिया जाना चाहिए और साल 2010 में पारित किये कानून की दोबारा समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा यह कानून याचिकाकर्ता के धार्मिक आस्था के अधिकार को हानि पहुंचता है। उन्होंने कहा कि फ्रांस सरकार के सामाजिक और सुरक्षा के हवाले से बुर्का प्रतिबन्धित करने का तर्क संतुष्टि प्रदान नहीं करता है।

    यूएन की समिति ने कहा कि बुर्का पहने महिलाओं के संरक्षण की बजाए यह प्रतिबन्ध उनके अधिकारों की विपरीत है। यह कानून उन्हें घर में बंद रहने और जन सुविधायों की पहुंच से महरूम रहने के लिए मजबूर करता है।

    सालों से फ्रांस में मुस्लिमों की टोपी और बुर्का पर बहस छिड़ी हुई है। यह बहस सदैव फ्रांस के धर्मनिरपेक्ष संविधान के समर्थकों और धार्मिक स्वतंत्रता की मांग करने वालों के मध्य रही है। पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के कार्यकाल में 2010 में पारित हुए कानून को मज़बूत जन समर्थन मिला था। हालांकि काफी लोगों का कहना था कि यह कानून अल्पसंख्यक मुस्लिम महिलाओं पर निशाना साधने के लिए है।

    इस कानून के पारित होते ही फ्रांस यूरोपियन संघ का पहला देश बना गया जिसने सार्वजानिक स्थानों पर चेहरा न ढकने पर कानून बनाया था। फ्रांस में लगभग 5 मिलियन मुस्लिम रहते हैं। मुस्लिम महिलाओं ने कानून को नज़रंदाज़ कर सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहना तो उनसे 150 यूरो का जुर्माना वसूला गया था।

    साल 2014 में यूरोपीय अदालत ने फ्रांस को मानवधिकार उल्लंघन के आरोपों से बाइज्ज़त बरी कर दिया।

    फ्रांस के अलावा डेनमार्क, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम जैसे यूरोपीय देशों ने भी सार्वजानिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर पाबंदी लगा रखी है। अदालत ने निर्णय सुनाया था कि फ्रांस ने बुर्के पर प्रतिबन्ध किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहात पहुँचाने के लिए नहीं लगाये बल्कि सामाजिक हितों के कारण लगाए थे।

    अगस्त में यूएन मानवधिकार समिति ने फ्रांस में एक नर्स को कार्यस्थल पर बुर्का उतारने पर जोर देने के बाबत फ्रांसिसी सरकार की आलोचना की थी। हाल ही में फ्रांस की जेल से भागते हुए एक कैदी ने बुर्का पहना था हालांकि अपराधी को बादमे पकड़ लिया गया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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