पहलाज निहलानी अभी हाल ही सेंसर बोर्ड के चीफ के पद से बर्खास्त हुए। बर्खास्त होने के बाद, निहलानी कई बड़े बड़े खुलासे कर रहे है। उन्होंने कुछ समय पहले यह बताया कि कई फिल्में जैसे उड़ता पंजाब, बजरंगी भाईजान पर रोक लगाने के लिए उनको सरकार से हुकुम मिला था। नहलानी ने हाल ही में यह भी खुलासा किया कि उन्हें सेंसर चीफ के पद से हटाने में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का बड़ा योगदान था।
निहलानी ने एक प्रसिद्ध अखबार से हाल ही में यह कहा कि फिल्मों पर कट लगाना खत्म नहीं होगा, यह सिलसिला जारी रहेगा। सेंसर बोर्ड की मौजूदगी में फिल्मों पर कट लगते रहेंगे। उनका कहना है कि फिल्मों पर कट लगाना कानून के दायरे में है। यदि सिनेमैटोग्राफ एक्ट,1952 के दिशा निर्देश के अनुसार कोई फिल्म इससे बाहर नज़र आती है तो इसमें बिना किसी विचार के कट लगाया जा सकता है। सेंसर इसी एक्ट के जरिये फिल्मों पर अपना निर्णेय सुनाती है।
निहलानी ने पहले यह बताया था कि उनको सेंसर बोर्ड से निकालने के पीछे कही न कही सुचना और प्रसारण मंत्री, स्मृति ईरानी का बड़ा योगदान है। आगे, निहलानी ने कहा कि स्मृति की आदत है अपनी उपस्थिति हर जगह महसूस करवाने की और वो जब भी मिनिस्ट्री से सम्बंधित रही है वहाँ अपने तरीके से ही काम करना पसंद करती है। निहलानी ने यह भी खुलासा किया कि स्मृति ईरानी ने उनको मधुर भंडारकर की ‘इन्दु सरकार’ को बिना किसी कट के पास करने का आदेश दिया था। परन्तु, निहलानी ने अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से किया और फिल्म को सेंसर के नियम कानूनों के अनुसार ही पास किया। यही बात, स्मृति को खल गयी और उन्होंने अपनी ताकत का प्रयोग कर निहलानी को सेंसर चीफ के पद से हटा दिया।
निहलानी ने 30 महीने सेंसर बोर्ड के चीफ का कार्यभाल संभाला है। उन्हें इस पद से बर्खास्त होने का कोई ख़ासा अफ़सोस भी नहीं है। उनका यह भी कहना है कि स्मृति ईरानी के बाद सब परिवर्तित हो गया है।
निहलानी पर उनके कार्यकाल के दौरान कही सवाल उठे। यहाँ तक बॉलीवुड की हस्तियों ने निहलानी से सवाल किया कि क्या सेंसर बोर्ड का काम फिल्मों पर कट लगाना है या फिर उनको सर्टिफिकेशन देना? पर, निहलानी ने इस सब प्रशनों को ख़ालिज कर दिया।