फिच रेटिंग्स ने कहा कि सभी तीन निजी भारतीय दूरसंचार कंपनियों द्वारा दिसंबर 2019 से टैरिफ बढ़ाने और स्पेक्ट्रम बकाया के भुगतान पर दो साल की मोहलत का फैसला उद्योग के लिए सकारात्मक है।
हालांकि, इससे भारती एयरटेल (बीबीबी/रेटिंग वॉच नेगेटिव) और वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को असर को पूरा करने के लिए पर्याप्त होने की संभावना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल पुराने एडजेस्टेड ग्रास रेवेन्यू (एजीआर) विवाद पर दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ आदेश दिया, जिसमें ऑपरेटरों को सरकार को भारी बकाए का भुगतान करना होगा।
रिलायंस जियो (जियो) आदेश से प्रभावित नहीं है और उसके रेवेन्यू मार्केट शेयर में लाभ जारी रखने की संभावना है। रिलायंस जियो, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी है।
फिच ने एजीआर से जुड़े बड़े बकाए से जुड़े वित्तीय जोखिक के बढ़ने के कारण 2020 में इस क्षेत्र के लिए नकारात्मक दृष्टिकोण जाहिर किया है। सरकार ने 20 नवंबर 2019 को डेफर्ड स्पेक्ट्रम बकायों के भुगतान को दो साल के लिए लंबित करने की योजना की घोषणा की, जिससे तीनों दूरसंचार कंपनियों पर नकदी प्रवाह का दबाव कम होगा।