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    फंड्स की कमी के कारण यूएन फूड रिलीफ एजेंसी नहीं दे पायेगा यमन देश को प्रयाप्त खाना

    संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने यह चेतावनी दी है की फण्ड की कमी की वजह से  यमन के 80 लाख लोग भूखमरी के कगार पर पहुंच सकते हैं। बुधवार को यूएन फूड रिलीफ एजेंसी  ने चिंता जतायी है की उसके पास फंड की काफी कमी है  जिसके कारण वो यमन के करीब लाखों लोगों खाना पहुँचाने में सक्षम नहीं हो पाया है।  

    अगले साल जनवरी से, यमन की 80 लाख लोगो की आबादी जो भूखे हैं उन्होंने कम राशन मिलेगा। इसके अलावा 50 लाख आबादी जो भूख से बिल्कुल ही अकाल के कगार पर खड़े हैं उन्हें पूरा राशन मिलने की योजना है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (मीडिल ईस्ट) की क्षेत्रीय निदेशक कोरिने फ्लेसिचर ने बयां किया कि, ‘मुश्किल घड़ी की मांग है कि मुश्किल कदम उठाए जाए। हमें अपने सीमित स्त्रोत को देखते हुए प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। जो सबसे मुश्किल राज्यों में हैं हम उनपर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। यमन में वैसे परिवार जो खाने-पाने को लेकर इस प्रोग्राम पर आश्रित हैं उनके लिए राशन का कम हो जाना एक बेहद ही मुश्किल समय है। मुद्रा की क़ीमतों में गिरावट दर्ज की गई है और मुद्रास्फ़ीति के कारण यहां अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गई है।’

    पिछले तीन महीने से यहां कई परिवारों की हालात नाज़ुक़ बानी हुई है, २०२१ की शुरुआत  से ही यमन में खाने-पीने के सामान दोगुने दाम पर मिल रहे हैं। कई मोर्चों पर लड़ रहे यमन में रहने वाले कई परिवारों  को  पलायन के अलावा कोई भी उपाय नज़र नहीं आ रहा। यमन में ऐसे हालात पहली बार आये है.  डूबती अर्थव्यवस्था की चपेट में आने के कारण से यहां लाखों लोग दरिद्रता में जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

    यमन में एक करोड़ 62 लाख लोग, या यूं भी बोल सकते है की यमन की आधी से ज़्यादा जनसंख्या भोजन की कमी के कारण गंभीर रूप से बीमार रहती है . पांच वर्ष से कम उम्र के क़रीब 23 लाख बच्चों पर कुपोषण का खतरा मंडरा रहा है। यूएन एजेंसी की वरिष्ठ अधिकारी ने कहना है कि यमन के लोग पहले के मुकाबले अधिक संवेदनशील परिस्थितियों का सामना कर रहे है।

    संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार, यमन में अगले साल मई तक आबादी के सबसे कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान करना जारी रखने के लिए 81 मिलियन डॉलर से अधिक की आवश्यकता होगी। 2022 में, विश्व खाद्य कार्यक्रम को भूख के कगार पर परिवारों की मदद के लिए 1.97 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी।

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