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    नई दिल्ली, 4 मई (आईएएनएस)| ‘मी टू’ आंदोलन के कारण पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में अपना बयान दर्ज करवाया, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ पत्रकार प्रिया रमानी द्वारा लगाए गए आरोप अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण हैं।

    इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से पेश वकीलों के बीच तीखी बहस हुई।

    अदालत पूर्व विदेश राज्यमंत्री की रमानी के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई कर रही थी।

    रमानी पत्रकार से राजनेता बने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली कई महिलाओं में सबसे पहली महिला थी।

    शनिवार को, अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल ने मामले में अकबर के बयान की जांच शुरू की।

    अकबर ने अदालत से कहा, “रमानी के ट्वीट ने मेरी छवि को नुकसान पहुंचाया।”

    इसबीच दो घंटे लंबी सुनवाई के दौरान कई बार व्यवधान उत्पन्न हुए, क्योंकि अकबर की वकील गीता लूथरा ने रमानी की वकील रेबेका जॉन द्वारा अकबर से किए गए सवाल-जवाब पर आपत्ति उठाई।

    जब जॉन ने अकबर से पूछा कि क्या उन्होंने मुंबई के नरीमन प्वाइंट के ओबेराय होटल में दिसंबर 1993 में रमानी को मिलने के लिए बुलाया था, जब वह एशियन एज अखबार के कार्यालय में एक साक्षात्कार के लिए गई थी। इसपर अकबर ने कहा कि वहां इस घटना को दोबारा याद नहीं कर सकते।

    रमानी के वकील ने अकबर से उनके राजनीतिक संपर्को से संबंधित प्रश्न पूछे और उनके विचारधारा पर सवाल उठाए। रमानी के वकील ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के दौरान इसे कई बार बदला है।

    इसके जवाब में अकबर ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि उनका यह व्यवहार ‘राजनीतिक अवसरवाद’ को दर्शाता है।

    अकबर के वकील ने जॉन के सवाल को अप्रासंगिक बताया।

    अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 20 मई को मुकर्रर कर दी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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