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    priyanka chaturvedi

    कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मथुरा में पार्टी के कुछ सदस्यों ने उनसे दुर्व्यवहार किया था, जिसकी पार्टी द्वारा अनदेखी करने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला लिया।

    इसके बाद आज दोपहर में प्रियंका नें शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में मातोश्री में शिवसेना की सदयस्ता ले ली है।

    इस दौरान प्रियंका नें कहा कि उन्होनें बहुत सोच समझ कर शिवसेना में जाने का फैसला किया है। उन्होनें कहा कि मुझे पता है कि मैंने कई बार शिवसेना के विरोध में बोला है, लेकिन मैंने सोच समझकर इस पार्टी में शामिल होने का फैसला लिया है।

    उन्होंने गुरुवार को राहुल गांधी को एक पत्र लिखा था, जिसे उन्होंने शुक्रवार को सार्वजनिक किया। इसमें उन्होंने लिखा था कि, पिछले कुछ सप्ताह के दौरान उन्हें यह अहसास दिलाया गया है कि पार्टी की नजर में उनके कार्यो का कोई मुल्य नहीं था।

    उन्होंने कहा, “मैं राह के अंतिम पड़ाव में पहुंच गई हूं। इसके साथ ही मुझे यह महसूस हो रहा है कि अब मैं पार्टी में रहती हूं तो मुझे इसके लिए अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान की कीमत चुकानी पड़ेगी।”

    पार्टी महिलाओं की जिस सुरक्षा, स्वाभिमान और सशक्तिकरण की बात करती है, वहीं बात पार्टी के सदस्यों में न देखने पर उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे पार्टी के कुछ सदस्यों के व्यवहार में वह बात बिल्कुल भी नजर नहीं आई, जिसका पार्टी प्रचार करती है।”

    उन्होंने लिखा है, “चुनाव के दौरान पार्टी में सब की भागीदारी जरूरी है, सिर्फ इसी आधार पर पार्टी के लिए आधिकारिक कार्य के दौरान मेरे साथ हुए गंभीर घटना और दुर्व्यवहार को दरकिनार कर दिया गया। इस अनादर ने मुझे आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) से बाहर निकलकर अन्य चीजों पर खुद का ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया।”

    बुधवार को उन्होंने मथुरा में एक प्रेस-कांफ्रेंस में पार्टी के कुछ सदस्यों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार करने वालों को पार्टी में फिर से बहाल करने पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा, “पार्टी में रहने के दौरान जिन्होंने मुझे धमकाया, उन्हें बिना कोई कठोर कार्रवाई किए बगैर छोड़ दिया गया।”

    कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से जब प्रियंका चतुर्वेदी के इस्तीफे के बारे में पूछा गया तो उन्होनें कहा कि यह मामला कांग्रेस पार्टी और प्रियंका के बीच में है और वे इसपर कुछ नहीं कह सकते हैं।

    इसी मामले में हाल ही में शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत नें कहा था कि प्रियंका चतुर्वेदी आज शिवसेना से जुड़ेंगी। ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रियंका को शिवसेना टिकट दे सकती है।

    ठाकरे ने जल्दबाजी में बुलाए गए मीडिया कांफ्रेंस में उनका स्वागत किया और कहा कि वह खुश हैं कि ‘उन्होंने शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया है।’

    उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने उन्हें गुलदस्ता दिया और कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं की उपस्थिति में उन्हें ‘शिव बंधन’ धागा बांधा।

    इसके बाद चतुर्वेदी (39) ने कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किए जाने की घटना में उनका समर्थन नहीं करने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा।

    उन्होंने कहा, “मैंने बिना किसी स्वार्थ के कांग्रेस पार्टी की 10 वर्षो तक सेवा की। लेकिन, पार्टी ने मेरी शिकायत को दरकिनार कर दिया, जबकि यह मामला शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया गया था।”

    चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं को दोबारा बहाल किए जाने को लेकर शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपना दर्द बयां किया था।

    चतुर्वेदी ने हालांकि स्वीकार किया कि वह मथुरा सीट की उम्मीदवारी को लेकर नजरअंदाज किए जाने से थोड़ी निराश थीं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस छोड़ने की मुख्य वजह उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना है।

    उन्होंने अपनी तात्कालिक प्राथमिकताओं के बारे में कहा कि वह राजनीति और अन्य क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण और राष्ट्रीय स्तर पर शिवसेना को मजबूत करने और उभारने का काम करेंगी।

    मुंबई में पली-बढ़ी चतुर्वेदी ने शहर को अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि बताया। इसके साथ ही उन्होंने 53 वर्ष पुरानी शिवसेना को मुंबई, महाराष्ट्र और देश की ‘गर्जन’ बताया।

    शिवसेना में शामिल होने की घोषणा उनके कांग्रेस छोड़ने के कुछ देर बाद ही की गई।

    चतुर्वेदी प्रेस कांफ्रेंस और टीवी में कांग्रेस का पक्ष लेने वाली प्रमुख नेता रह चुकी हैं।

    उन्होंने गुरुवार को राहुल गांधी को एक पत्र लिखा था, जिसे शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया। इसमें उन्होंने लिखा था कि पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान उन्हें यह अहसास दिलाया गया है कि उनकी सेवाओं का पार्टी के लिए अब कोई मूल्य नहीं है।

    पार्टी महिलाओं की जिस सुरक्षा, स्वाभिमान और सशक्तिकरण की बात करती है, ‘वही बात पार्टी सदस्यों में न देखने पर’ उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘मुझे पार्टी के कुछ सदस्यों के व्यवहार में वह बात बिल्कुल भी नजर नहीं आई, जिसका पार्टी प्रचार करती है।”

    उन्होंने लिखा है, “चुनाव के दौरान पार्टी में सब की भागीदारी जरूरी है, सिर्फ इसी आधार पर पार्टी के लिए आधिकारिक कार्य के दौरान मेरे साथ हुई गंभीर घटना और दुर्व्यवहार को दरकिनार कर दिया गया। इस अनादर ने मुझे आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) से बाहर निकलकर अन्य चीजों पर खुद का ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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