प्रिंसेस डायना के बारे में आपने हमेशा यही पढ़ा होगा कि वह दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला थी और उन्होंने समाज के लिए कई काम किये थे। शाही परिवार की बहू होने कारण, उनके पास दौलत और शोहरत की कोई कमी नहीं थी लेकिन उनकी निजी ज़िन्दगी बहुत दर्द भरी हुई थी। उनका जीवन छोटा और प्रभाशाली रहा है। वह शिष्टता और लालित्य की मूरत थी लेकिन इन सब ने उन्हें कभी वो करने से नहीं रोका, जो वह करना चाहती थी।
तो आइये आज हम उन 6 चीज़ों के बारे में बात करते हैं, जिन्होंने ये साबित किया कि प्रिंसेस अपने दौर से कही आगे की सोच और हिम्मत रखती थी-
कभी रानी नहीं बनना चाहती थी
बीबीसी को दिए अपने इंटरव्यू में, डायना ने बताया कि वह क्यों कभी रानी नहीं बनना चाहती थी। उन्होंने कहा था-
“मैं लोगों के दिलों की रानी बनना चाहती हूँ, लोगों के दिलों में, लेकिन मैं खुद को इस देश की रानी के रूप में नहीं देखती। मुझे नहीं लगता कि बहुत से लोग मुझे रानी बनते देखना चाहेंगे। दरअसल, जब मैं ‘बहुत से लोग’ कहती हूँ, तो मेरा मतलब उस स्थापना से है, जिसमें मैंने शादी की है। उन्होंने फैसला किया कि मैं एक नॉन-स्टार्टर हूँ, क्योंकि मैं चीजों को अलग तरह से करती हूँ, क्योंकि मैं एक नियम पुस्तिका के अनुसार नहीं चलती, क्योंकि मैं दिल से काम करती हूँ, दिमाग से नहीं। और यद्यपि मुझे मेरे काम में परेशानी हुई, लेकिन किसी को तो बाहर जाकर, लोगो से प्यार करना होगा।”
जब उस महिला का सामना किया जिससे उनके पति का चल रहा था अफेयर
उनकी जीवनी ‘डायना: हर ट्रू स्टोरी’ में इस किस्से को बयां किया गया है। इसमें उन्होंने अपनी शादी के सबसे साहसिक कदम के बारे में बात की। उन्होंने कैमिला पार्कर बाउल्स (वह महिला जो उनके पति प्रिंस चार्ल्स के साथ संबंध रखती थी) का सामना, कैमिला की बहन की 40 वें जन्मदिन की पार्टी में करने का फैसला किया। यह 1989 में हुआ था जब डायना को पता चला कि कैमिला और चार्ल्स ने फिर से अपना अफेयर शुरू कर दिया है। एक बार जब उन्हें अपनी ज़रूरत की सारी जानकारी मिल गई, तो उन्होंने अघोषित रूप से पार्टी में जाने का फैसला किया और कैमिला से आमने-सामने बात की।
मानना पड़ेगा, क्या हिम्मत वाला काम किया है।
जब अपने पति की बात मानने से किया इंकार
प्रिंस चार्ल्स और प्रिंसेस डायना की शादी जुलाई 1981 को हुई थी, लेकिन उस दिन को केवल उनकी शादी के रूप में ही नहीं याद किया जाता। अपनी शादी की कस्में पढ़ते हुए, उन्होंने ’obey’ (आज्ञा का पालन) शब्द को छोड़ दिया था और इस परंपरा को शुरू करने वाली पहली शाही दुल्हन बनी। केट मिडलटन, मेघन मार्कल और यहां तक कि प्रिंसेस यूजनी ने भी इस परंपरा का पालन किया जब उन्होंने अपने अपने पतियों के साथ शादी की थी।
जिस दिन उन्होंने ‘रिवेंज ड्रेस’ पहनी
शाही इतिहास में 29 जून, 1994 कोई नहीं भूल सकता जब प्रिंसेस डायना लन्दन की सर्पेंटाइन गैलरी में आयोजित वैनिटी फेयर डिनर में उपस्थित होने गयी थी। उस दिन उन्होंने बहुत बोल्ड ड्रेस पहनी थी जो उनके लिए तीन साल पहले बनी थी। लेकिन उस वक़्त उन्होंने सोचा कि ये ऑफ-शोल्डर ब्लैक ड्रेस काफी साहसिक है। लेकिन आखिरकार, उन्होंने ये ड्रेस उस डिनर पर पहनने की योजना बनाई जिसके पीछे एक बड़ा कारण था।
उसी दिन डिनर पर, प्रिंस चार्ल्स को एक डाक्यूमेंट्री में आधिकारिक तौर पर कैमिला के साथ अपने अफेयर का खुलासा करना था। ऐसे में, डायना चाहती थी कि वह सबसे खूबसूरत महिला लगे जो वह लगी भी। उनके इस लुक को बाद में ‘द रिवेंज ड्रेस’ नाम से जाने जाना लगा।
जब उन्होंने आत्म-हानि और प्रसवोत्तर अवसाद (पोस्टपार्टम डिप्रेशन) के साथ अपनी लड़ाई पर की बात
बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने प्रिंस विलियम को जन्म देने के बाद हुए प्रसवोत्तर अवसाद और अपने अतीत में की आत्म-हानि पर बात की। उन्होंने बताया कि वह मदद की पुकार करते हुए अपने हाथ और पैर को नुकसान पहुंचा देती थी और खुलासा किया कि यह एक लक्षण था कि उनकी शादी में क्या हो रहा था। उनके मुताबिक,
“मुझे लगा कि मैं शाही परिवार में पहली इन्सान थी जो खुलकर रोई और किसी को नहीं पता था कि क्या करना है। अगर आपने ये पहले नहीं देखा है तो आप इसका समर्थन कैसे करेंगे?”
आगे जाकर दोनों प्रिंस हैरी और प्रिंस विलियम ने मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित दान के लिए काम किया। और ये केवल इसलिए क्योंकि उनकी माँ ने खुलकर इस बारे में बात करने का साहसिक कदम उठाया था।
जब एचआईवी और एड्स पर लगे धब्बे के खिलाड़ खड़ी हुई
प्रिंसेस डायना ने न केवल कई नियम तोड़े, बल्कि असल मायने में लोगो को सीख भी दी। वह शाही परिवार की पहली ऐसी सदस्य थी जिन्होंने बिना किसी सुरक्षा के HIV/AIDS से पीड़ित मरीजों से संपर्क किया। जब उन्होंने यूके के मिडिलसेक्स अस्पताल का दौरा किया था, तब उन्होंने HIV/AIDS से पीड़ित लोगो से हाथ मिलाया और उस दौरान उन्होंने दस्ताने नहीं पहने थे। इस बारे में उन्होंने एक भाषण में कहा था-
“एचआईवी लोगों को खतरनाक नहीं बनाता है। आप उनसे हाथ मिला सकते हैं और उन्हें गले लगा सकते हैं। स्वर्ग जानता है कि उन्हें इसकी आवश्यकता है।”