उद्योग संगठन एसोचैम ने आज कहा है कि निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण देने वाला कोई भी कदम भारत में निवेश के माहौलको प्रभावित करेगा। अत: राजनीतिक दलों को प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण दिए जाने की मुखालफत करने से बचना चाहिए अन्यथा निवेशकों में एक “गलत संकेत” जा सकता है।
एसोचैम के अनुसार, ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था अपने विकास के लिए साकारात्मक बदलावों के साथ जददोजहद कर रही है, निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर किसी प्रकार की राजनीतिक टिप्पणी करने से एक बड़ा नुकसान हो सकता है।
इस संगठन ने यह भी कहा है कि विश्व बैंक द्वारा इज आॅफ डूइंग बिजनेस सूची में भारत को जो बेहतरीन रैंकिंग दी गई है, निजी क्षेत्र में आरक्षण दिए जाने के मुद्दे से गंभीर क्षति पहुंच सकती है।
एसोचैम ने कहा कि नोटबंदी तथा जीएसटी के चलते देश का व्यापार पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में आरक्षण की मांग किसी भी प्रकार से भी उचित नहीं है। निजी क्षेत्र की नौकरियों में एससी/एसटी के लिए आरक्षण की वकालत करने वाली कई राजनीतिक पार्टियों और नेताओं की टिप्पणीयां आती रहती हैं।
अभी हाल में ही केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की अगुआई में लोक जनशक्ति पार्टी ने निजी क्षेत्र में शामिल नौकरियों में आरक्षण देने मांग की थी। कुछ अन्य राजनीतिक संगठनों द्वारा भी इसी तरह की मांग की गई है।
पिछले साल कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण नीति में विस्तार किए जाने संबंधी मामले को एक मुद्दा बना दिया था।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा है कि राजनीतिक दलों को ऐसे वातावरण बनाने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे कि आर्थिक विकास में मदद मिले तथा सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में लाखों नौकरियों के दरवाजे खुले। राजनीतिक दलों को ऐसे बयान से बचने की कोशिश करना चाहिए जिससे वैश्विक और घरेलू निवेश को गलत संकेत ना जाए। उन्होंने कहा कि पहले से ही क्षमता के हिसाब से निजी क्षेत्र में 72-75 फीसदी से अधिक निवेश नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि भले ही देश की राजनीतिक पार्टियां लोकलुभावन नीतियां अख्तियार कर रही हों लेकिन इससे देश के विकास का माहौल पूरी तरह से खराब हो सकता है। एसोचैम महासचिव रावत ने चेताते हुए कहा कि अल्पकालीन राजनीतिक लाभों से बचते हुए उन निवेशकों को बढ़ावा दिया जा सकता है जो देश में एक अनुकूल माहौल पसंद करते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को भी उद्योग और व्यापार में वृद्धि के लिए नौकरशाहों की ओर से की जाने वाली रूकावटों को दूर करना चाहिए। एसोचैम ने कहा कि उद्योग जगत इस समय स्किल डेवलपमेंट,प्रशिक्षण और रोजगार के लिए सरकार के साथ काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। ताकि आम आदमी भी अर्थव्यवस्था से जुड़ सके। ऐसे में निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग करना एक प्रतिगामी कदम होगा।