चुनावी रणनीतिकार बने राजनेता प्रशांत किशोर ने वर्तमान आरजेडी प्रमुख लालू के दावे को निराधार करार दिया जिसमे उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार ने महागठबंधन में वापसी के लिए प्रशांत किशोर को माध्यम बनाया था।
लालू की आने वाली किताब के एक अंश पर प्रतिक्रिया देते हुए वर्तमान उपाध्यक्ष किशोर ने ट्वीट के जरीये लालू के इस दावे को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि यह और कुछ नही सिर्फ एक ऐसे नेता का प्रासंगिकता हैं जिसके अच्छे दिन चले गए हैं।
हां, मेरे जेडीयू में शामिल होने से पहले, हम लोगों की बहुत बार मुलाकात हुई, लेकिन अगर मैं यह बता दिया कि मुलाकात के दौरान किस बात पर चर्चा होती थी तो वह बहुत शर्मसार होंगे।
किशोर जिन्होंने 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान लालू और नीतीश के साथ रणनीतिकार के रूप में काम किया था। लालू के प्रकाशित अंश को साझा किया, जिसमें राजद प्रमुख ने कहा था कि किशोर को लग रहा था कि अगर मैं पत्र लिखकर देदू कि पार्टी जेडीयू का समर्थन करती हैं तो वह भाजपा से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हो जाएगें।
लालू ने अपनी किताब में लिखा कि यद्दपि, मेरी नीतिश से कोई रंजिश नही थी मगर वह मेरा भरोसा खो चुके हैं। इस के अलावा,अगर मैं किशोर का प्रस्ताव स्वीकार कर लेता तो, मुझे नही पता था कि 2015 के लिए महागठबंधन के समर्थक लोग और भाजपा विरोध विपक्षी पार्टियां इस पर कैसी प्रतिक्रिया देंगी।
कुमार, जुलाई 2017 में महागठबंधन में शामिल हुए और इसके बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी।
उनके वर्तमान डिप्टी और लालू प्रसाद के बेटे के भ्रष्टाचार के कारण शर्मिंदा होने वाले चिफ मंत्री ने अचानक विकास में इस्तीफा देने की घोषण की कि उन्होंने अपनी आंतरिक आवाज के लिए जिम्मेदार ठहराया, लेकिन 24 घंटे से भी कम समयके बाद मुख्यमंत्री के रूप में तलवार मिल गई भाजपा और उसके सहयोगी समर्थन के लिए आगे आए।
पिछले साल विशेष रूप से सांप्रदायिक घटनाओं की स्थिति के बाद अटकलें लगाई गई थी, जो राज्य के प्रमुख हिस्सों में रामनवमी के त्योहार के आसपास फैली हुई थी कि जदयू अध्यक्ष अपने पुराने सहयोगी के नए आक्रामक अवतार और वापसी की के साथ असहज हो रहे थे।