प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ हाइ लेवल मीटिंग बुलाकर कच्चे तेल के आयात में कटौती पर चर्चा की है। माना जा रहा है इस मीटिंग के परिणाम स्वरूप भारत विदेशों से आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की मात्रा में 10 फीसद की कमी की जा सकती है।
देश में तेल के बढ़ते दामों के साथ ही राजकोषीय घाटे पर भी ज़ोर पड़ रहा है। देश ने 2018 के वित्तीय वर्ष में देश ने 2,200 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात किया था, जो कि देश की कुल जरूरत का 80% है।
देश में तेल के लगातार बढ़ते दामों से आम जनता को राहत देने के लिए मोदी सरकार ने आम नागरिकों पेट्रोल-डीज़ल खरीद पर छूट देने का निर्णय लिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु व पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ मिल कर देश में किए जाने वाले तेल आयात की कुल मात्रा में 10 प्रतिशत की कटौती को लेकर विचार किया है।
इस मीटिंग को अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। इस मीटिंग का उद्देश्य ईरान के बाद तेल खरीद को लेकर नए विकल्प पर भी विचार करना है।
इसी के तहत भारत की तेल आयात करने वाली कंपनियों ने सऊदी अरब को 40 लाख बैरेल तेल की अतिरिक्त तेल की खरीद का ऑर्डर दे दिया है।
देश को राजकोषीय घाटे से बचाने के लिए ही केंद्र ने हाल ही में विमान ईंधन में 5% का उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने भारत को चेतावनी दी है की इस बार का राजकोषीय घाटा 2.8 प्रतिशत से बढ़कर 3 प्रतिशत तक पहुँच सकता है।
जबकि पिछले वित्तीय वर्ष राजकोषीय घाटे की यह दर 1.9% रही थी।