प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को एक दशक बाद करीब 1500 आदिवासियों की शहीद स्थली मानगढ़ धाम पहुंचे। मानगढ़ एक ऐसा स्थान है, जहां गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमाएं आकर मिलती हैं। इन राज्यों के आदिवासियों की यहां बहुत श्रद्धा है।
सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से पहले आदिवासी समाज ने आजादी का बिगुल फूंका था। हम आदिवासी समाज के योगदानों के कर्जदार हैं। भारत के चरित्र को सहेजने वाला आदिवासी समाज ही है। उन्होंने शहीद स्मारक का दौरा कर आदिवासियों को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मानगढ़ की पवित्र भूमि में रहना हमेशा प्रेरणादायी होता है जो हमारे आदिवासी वीरों की तपस्या, बलिदान, बहादुरी और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “मानगढ़ राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात के लोगों की साझा विरासत है।” प्रधानमंत्री ने गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की जिनकी पुण्यतिथि 30 अक्टूबर को है।
PM @narendramodi attends the public programme ‘Mangarh Dham ki Gaurav Gatha’
Pays homage to the sacrifices of unsung tribal heroes and martyrs of the freedom strugglehttps://t.co/R5Vy7QLN3Q
1/2
— PIB India (@PIB_India) November 1, 2022
मोदी ने कहा कि मानगढ़ धाम को भव्य बनाने की इच्छा सबकी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र आपस में चर्चा कर एक विस्तृत प्लान तैयार करें और मानगढ़ धाम के विकास की रूपरेखा तैयार करें। चार राज्य और भारत सरकार मिलकर इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते हमने साथ-साथ काम किया। अशोक गहलोत हमारी जमात में सबसे सीनियर थे। अभी भी जो हम मंच पर बैठे हैं, उनमें अशोक गहलोत सबसे सीनियर सीएम हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि मानगढ़ धाम के इतिहास को स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। हमने प्रधानमंत्री से अपील की है कि इसे राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाए। आदिवासी समाज आजादी की जंग लड़ने के मामले में किसी से पीछे नहीं था। गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया में सम्मान महात्मा गांधी के कारण मिलता है क्योंकि वह गांधी की धरती से आते हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश को आजादी चांदी की तश्तरी में रखकर नहीं मिली है। आदिवासियों के बलिदान काे भुला दिया गया था, लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें नमन करने का अभियान चलाया है।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि 17 नवंबर 1913 का काला दिन कोई नहीं भूल सकता। आदिवासियों को विकास की मुख्य धारा में लाने का प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं।