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    नरेंद्र मोदी

    नई दिल्ली, 3 जुलाई (आईएएनएस)| किसानों को समय पर राहत दिलाने और बीमा कंपनियों की मुनाफाखोरी पर रोक लगाने के लिए सरकार अपनी प्रमुख फसल बीमा योजना-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में बदलाव कर सकती है।

    इस बदलाव का मुख्य मकसद सही मायने में योजना से किसानों को मौसम की मार से फसल के नुकसान से राहत दिलाना होगा हालांकि इससे पीएमएफबीवाई निजी बीमा कंपनियों के लिए उतनी आकर्षक नहीं रह जाएगी क्योंकि इस योजना को पूरे देश में चलाने के लिए उनको सिर्फ प्रशासनिक शुल्क ही मिल सकता है।

    आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय एक वैकल्पिक मॉडल पर विचार कर रहा है जिसके तहत बीमाकर्ताओं को केंद्र व राज्य सरकारों और किसानों द्वारा प्रदत्त प्रीमियम के पैसे का प्रबंधन करने के लिए एक पुल या ट्रस्ट बनाया जाएगा।किसानों द्वारा जब कभी कोई दावा किया जाएगा तो उसका समाधान पुल या ट्रस्ट के पैसों से बीमा कंपनी करेगी।

    पुल का प्रबंधन सरकारी कंपनियों द्वारा नोडल एजेंसी के रूप में काम करने वाली एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया (एआईसीएल) और बतौर पुल प्रबंधक जीआईसी द्वारा की जा सकती है। राज्य द्वारा चयनित बीमांकिक विशेषज्ञों के साथ एआईसीएल योजना का डिजाइन और उत्पाद की कीमतों का निर्धारण भी करेगी।

    इसके अलावा, दावे के भुगतान का फैसला भी एआइसीएल पर निर्भर होगा ओर राज्य सरकार बीमा कंपनी की भूमिका पंजीयन, जागरूकता पैदा करने और नियत प्रशासनिक शुल्क पर दावों के भुगतान का प्रबंधन तक सीमित करेगी।

    योजना में बदलाव की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “इस मॉडल से बीमाकर्ताओं खासतौर से निजी कंपनियों की विवेकाधीन शक्तियां समाप्त हो जाएंगी और समाधान में उनकी भूमिका सीमित हो जाएगी। इससे बीमाकर्ताओं की मुनाफाखोरी पर रोक भी लगेगी और दावों का समाधान समुचित व समय पर होगा।”

    योजना के तहत किसान बीमा किस्त की रकम का 1.5-2 फीसदी भुगतान करते हैं जबकि बाकी रकम के समान हिस्से का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार करती हैं। किस्त की पूरी रकम बीमाकर्ताओं के पास रहती है।

    लगातार दो साल बारिश कम होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में पीएमएफबीवाई शुरू की थी। शुरुआत से ही योजना समस्याओं से घिरी रही। योजना के तहत पंजीयन में 15.5 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई और यह 2016 के 5.73 करोड़ से घटकर 2017-18 में 4.84 करोड़ रह गया।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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