समुद्र के तटों पर हमारे और आपके द्वारा फेक दी जाने वाली प्लास्टिक बॉटल कुछ समय के बाद जा कर समुद्र की सतह पर कचरे के रूप में एकत्रित हो जाती है, यही कचरा समुद्र के साथ ही अन्य वातावरण के प्रदूषण का कारण बनता है।
अभी एक सर्वे जिसे ‘ब्रेक फ्री फ़्राम प्लास्टिक‘ नामक एक उपक्रम ने पूरा किया था, इस सर्वे में बताया गया है कि कोका-कोला, पेप्सी और नेस्ले जैसी अनेकों ऐसी कंपनियां है जो प्लास्टिक की बोतल में अपने उत्पादों को बेंचती है।
ये बोतलें सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल की जा सकती हैं, ऐसे में जो लोग समुद्र के तट पर इस तरह के उत्पादों का इस्तेमाल करते है वे, इसके बाद उन खाली बोतलों को वहीं तट पर ही छोड़ देते हैं।
वर्ष 2016 में शुरू हुए इस उपक्रम ने 42 देशों के अनेकों तटों पर प्लास्टिक साफ करने की मुहिम को चलाया था। इसमें करीब 10,000 से भी ज्यादा वॉलंटियर ने 42 देशों के 239 तटों को साफ किया था। इस दौरान उन्हे करीब 2 लाख से भी ज्यादा प्लास्टिक बॉटलों को वहाँ से हटाना पड़ा था।
ये प्लास्टिक की बोतलें नॉन-बायोडेग्राडेबल होती है, जिसका मतलब ये हुआ कि ये हजारों सालों तक यूँ ही बिना नष्ट हुए पड़ी रहेंगी, जो आगे चलकर पर्यावरण के लिए जानलेवा साबित होंगी।
रिसर्च के मुताबिक इन कंपनियों को अपने उत्पादों को इन प्लास्टिक की बोतलों में बेंचने के साथ ही इन बोतलों को किस तरह नष्ट करना है, इसका भी आंकलन करना चाहिए।
रिसर्च की मानें तो 1950 के बाद से प्लास्टिक उत्पादन की कुल मात्रा जो कि 8.3 अरब मीट्रिक टन है, उसमें से 2018 तक सिर्फ 20 प्रतिशत प्लास्टिक का ही निस्तारण हो पाया है, अभी भी बाकी 80 प्रतिशत प्लास्टिक वातावरण को लगातार प्रदूषित कर रही है।