लद्दाख के लिए अलग प्रशासनिक डिवीजन के निर्माण के लिए कार्गिल के लोग भीषण बर्फबारी के बीच सड़कों पर उतर आए हैं।
अभी दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने इस संबंध में एक आदेश पारित किया था, जिसके चलते हजारों की संख्या में कार्गिल में रहने वाले लोग अब प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतार आए हैं। लोगों की मांग है कि सरकार अपने आदेश की समीक्षा कर इसे वापस ले।
स्थानीय नागरिकों ने यह मांग रखी है कि लेह और कार्गिल प्रशासन के लिए एक ही डिवीजन का निर्माण न किया जाये। बल्कि 6-6 महीने के रोस्टर के हिसाब से दोनों जगह कार्यालयों का निर्माण किया जाए।
हालिया आदेश के अनुसार राजस्व डिवीजन के लिए लेह और कार्गिल दोनों जिलों के लिए एक ही कार्यालय का निर्माण होगा। इसका मुख्यालय लेह में बनाने की तैयारी है। इसके पहले लद्दाख को कश्मीर का हिस्सा माना जाता रहा है।
लद्दाख क्षेत्र की पहाड़ी विकास काउंसिल के अध्यक्ष फिरोज अहमद खान का कहना है कि ‘मुख्यालय लेह जिले को देना है तो कोई बात नहीं, लेकिन फिर कार्गिल को कश्मीर डिवीजन का हिस्सा रहने दिया जाये। यह सरासर अन्याय है और हम इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे।’
खान के मुताबिक सरकार को इस निर्णय की समीक्षा करनी चाहिए, इसी के साथ 6-6 महीनों के रोस्टर के हिसाब से मुख्यालय का निर्धारण होना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर इस निर्णय के न बदले जाने की दशा में खान समेत कार्गिल के सभी नेताओं ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देने की भी बात कही है।
खान के मुताबिक लद्दाख के लिए अलग डिवीजन के निर्माण की माँग वास्तव में कार्गिल के लोगों द्वारा ही की गयी है। केंद्र लेह में डिवीजन मुख्यालय बना कर यहा के लोगों के बीच राजनीतिक कलह को बढ़ाना चाहती है।
गौरतलब है कि इस मामले में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने माइनस 21 डिग्री तापमान पर भी अपना प्रदर्शन जारी रखा है। यह प्रदर्शन अब केंद्र सरकार के लिए गले की फाँस बन चुका है।
प्रदर्शनकारियों को फिलहाल राजनीतिक सहयोग भी मिल रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने भी अलग डिवीजन के निर्माण को लेकर प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने की बात कही है।
भाजपा के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि पार्टी ने 2014 लोकसभा चुनाव में लद्दाख से जीत दर्ज़ की थी। ऐसे में वहाँ के लोगों का यह प्रदर्शन भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में परेशान कर सकता है।