भारत से बैंक का कर्ज लेकर फरार विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश अदालत ने मंज़ूरी दे दी है। इस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए विजय माल्या को जनवरी तक इंतजार करना होगा। 10 दिसम्बर को वेन्स्मिस्टर की अदालत ने ब्रिटेन के गृह मंत्रालय को विजय माल्या के प्रत्यर्पण के बाबत विचार करने को कहा था।
विजय माल्या को भारत के सुपुर्द करने का आखिरी अधिकारिक आदेश गृह सचिव साजिद देंगे। गृह सचिव के समक्ष आदेश देने के लिए पूरे 60 दिनों का वक्त है। यदि इस दौरान गृह सचिव को भारत से अधिक जानकारी की आवश्यकता हुई तो वह भारत से उसकी मांग कर सकते हैं।
फैसला लेने से पूर्व, गृह सचिव को बचाव पक्ष को अपने पक्ष में कहने के लिए 28 दिनों का समय देना लिखित में होता है।गृह मंत्रालय के निर्णय के बाद 14 दिनों के भीतर अदालत में याचिका दायर करनी होती है। इस याचिका पर सुनवाई उच्च न्यायालय में की जाएगी।
विजय माल्या भारत के बैंकों का कर्ज 9 हज़ार करोड़ रूपए हैं। विजय माल्या की टीम के मुताबिक वह किंगफ़िशर एयरलाइन के डूबने के कारण बैंक का कर्ज चुकाने में असमर्थ है और यह व्यापार में विफलता है। माल्या के विशेष गवाहों ने भारत के बैंकों, कैदखानों,राजनीति और न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये थे। उन्होंने कहा कि यह हालात माल्या के मानव अधिकारों का हनन होगा।
टाइगर हनीफ के प्रत्यर्पण के मुताबिक, अगर आरोपी सभी कानूनी चुनौतियों से हार जाता है तब भी प्रत्यर्पण बिना गृह सचिव के दस्तखत के संभव नहीं है। टाइगर हनीफ के अदालत में केस हारने के बावजूद साल 2013 से प्रत्यर्पण की फाइल गृह सचिव के समक्ष है, जिस पर फैसला अभी तक रुका हुआ है।