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    हाल ही में संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों द्वारा विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह के दौरान प्रतिरक्षण रणनीति- 2030 (UN’s Immunisation Agenda 2030) को लॉन्च किया गया है। यह संयुक्त राष्ट्र के अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्यों (विशेष रूप से सतत् विकास लक्ष्य-3 जिसमे बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण शामिल है) को प्राप्त करने में योगदान देगा। कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर नियमित टीकाकरण को प्रभावित किया है।

    क्या है प्रतिरक्षण रणनीति- 2030?

    यह दशक 2021-2030 हेतु वैक्सीन और टीकाकरण के लिये एक महत्त्वाकांक्षी, अतिव्यापी वैश्विक दृष्टि और रणनीति निर्धारित करता है। प्रतिरक्षण रणनीति- 2030 ग्लोबल वैक्सीन एक्शन प्लान पर आधारित है। इसका उद्देश्य ग्लोबल वैक्सीन एक्शन प्लान के उन लक्ष्यों को संबोधित करना है जो ‘वैक्सीन दशक’ (2011-20) की वैश्विक टीकाकरण रणनीति के हिस्से के रूप में पूरे किये जाने थे।

    ग्लोबल वैक्सीन एक्शन प्लान को ‘वैक्सीन दशक’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने हेतु विकसित किया गया था, जिससे सभी व्यक्ति और समुदाय वैक्सीन-निवारक बीमारियों से मुक्त हो सकें। यह सात रणनीतिक प्राथमिकताओं के एक वैचारिक ढांँचे पर आधारित है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टीकाकरण, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मज़बूत करने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की प्राप्ति में पूर्णतः योगदान दे। इसे चार मुख्य सिद्धांतों द्वारा रेखांकित किया जाता है: यह आम लोगों को केंद्र में रखता है, इसका नेतृत्त्व देशों द्वारा किया जाता है, इसे व्यापक साझेदारी के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है, यह डेटा द्वारा संचालित होता है।

    प्रतिरक्षण रणनीति- 2030 के लक्ष्य

    इस नए टीकाकरण कार्यक्रम के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ जैसी अन्य वैश्विक एजेंसियों द्वारा मौजूदा दशक (2021-2030) में 50 मिलियन वैक्सीन-निवारक संक्रमणों से बचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत टीकाकरण से वंचित बच्चों अथवा शून्य-खुराक वाले बच्चों की संख्या को घटाकर 50% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।

    शून्य खुराक वाले बच्चों में वे बच्चे शामिल हैं, जिन्हें टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से कोई टीका नहीं मिला है।बचपन और किशोरावस्था में दिये जाने वाले आवश्यक टीकों का 90% कवरेज लक्ष्य प्राप्त करना। राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर कोविड-19, रोटावायरस या ह्यूमन पेपिलोमावायरस जैसे नए या कम उपयोग किये गए 500 टीकों को प्रस्तुत करने के लक्ष्य को पूरा करना। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ प्रतिरक्षण रणनीति- 2030 के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि टीकाकरण के लाभों को देशों में सभी के साथ समान रूप से साझा किया जाए।

    विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह

    प्रतिवर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ‘विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य सभी उम्र के लोगों को बीमारी से बचाने हेतु टीकों के उपयोग को बढ़ावा देना है। टीकाकरण उस प्रक्रिया को वर्णित करता है, जिससे लोग सूक्ष्मजीवों (औपचारिक रूप से रोगजनकों) से होने वाले संक्रामक बीमारी से सुरक्षित रहते हैं। ‘टीका’ शब्द टीकाकरण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री को संदर्भित करता है।

    टीकाकरण वैश्विक स्वास्थ्य और विकास की सफलता को प्रदर्शित करता है, जिससे प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जान बचती है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम ‘वैक्सीन ब्रिंग अस क्लोज़र’ है।

    जोखिम में हैं 22 करोड़ जीवन

    यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि फ़िलहाल, 50 देशों में 60 जीनवरक्षक, सामूहिक टीकाकरण मुहिमें टाल दी गई हैं जिससे 22 करोड़ से अधिक लोगों पर ख़सरा, पीत ज्वर और पोलियो जैसी बीमारियों का ख़तरा है, इनमें अधिकतर बच्चे हैं।

    इन 50 प्रभावित देशों में आधे से ज़्यादा देश अफ़्रीका मे हैं, जहाँ ख़सरा के लिये टीकाकरण अभियान पर सबसे अधिक असर हुआ है। 23 टीकाकरण अभियानों के स्थगित होने से 14 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। यूएन एजेंसी के अनुसार, “इनमें से अनेक (ख़सरा) अभियानों को एक साल से भी ज़्यादा समय की देरी हुई है।”

    संगठन ने चेतावनी जारी की है कि इस बेहद संक्रामक वायरस से रक्षा कवच प्रदान करने में विफलता से, टीकाकरण के दायरे से बाहर आबादी में बड़े पैमाने पर बीमारी फैलने का जोखिम है। पहले ही, काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, पाकिस्तान और यमन में टीकाकरण कवरेज में आई रुकावट की वजह से बीमारी फैलने की ख़बरे मिली हैं। बीमारी का फैलाव उन इलाक़ों में हो रहा है, जो या तो पहले से ही हिंसक संघर्ष के हालात का सामना कर रहे हैं, या फिर कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई के कारण सेवाओं में उत्पन्न व्यवधान का।

    जीवनरक्षक संसाधन

    ‘2030 प्रतिरक्षण एजेण्डा’ के अनुसार, दुनिया के पास 20 प्राणघातक बीमारियों की रोकथाम के लिये वैक्सीन उपलब्ध हैं। इनके ज़रिये सभी आयुवर्ग के लोगों के लिये दीर्घ व स्वस्थ जीवन जीना सम्भव हुआ है, और यह उनका अधिकार है। इसे ध्यान में रखते हुए, ‘प्रतिरक्षण एजेण्डा 2030’ रणनीति के माध्यम से, कोविड-19 व्यवधान से पुनर्बहाली को सहारा देने की बात कही गई है।

    बताया गया है कि कोविड-19 और अन्य बीमारियों से लोगों को हर स्थान पर सुरक्षित रखने के लिये, अगले दशक में मज़बूत प्रतिरक्षण प्रणालियों की आवश्यकता होगी। इस क्रम में, व्यक्तियों, समुदायों व देशों में टीकाकरण कार्यक्रमों में निवेश व उससे होने वाली बचत और आर्थिक लाभ को रेखांकित किया गया है।

    जनसंख्या के अनुसार प्राथमिकता

    प्रतिरक्षण रणनीति- 2030 ‘बॉटम-अप’ दृष्टिकोण पर आधारित है, जबकि ग्लोबल वैक्सीन एक्शन प्लान ‘टॉप-डाउन’ दृष्टिकोण पर आधारित है। यह आबादी के उस हिस्से को प्राथमिकता देगा जिन तक वर्तमान में टीकाकरण की पहुंँच संभव नहीं है, विशेष रूप से समाज का वह वर्ग जो सर्वाधिक हाशिये पर है तथा जो अत्यधिक संवेदनशील और संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रहता हैं।

    टीकाकरण हेतु भारत की पहल

    हाल ही में, कोविड -19 महामारी के दौरान नियमित टीकाकरण में शामिल नहीं हो पाने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कवर करने के उद्देश्य से सघन मिशन इन्द्रधनुष-3.0 योजना शुरू की गई है। वर्ष 1978 में भारत में टीकाकरण कार्यक्रम को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रतिरक्षण कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था। वर्ष 1985 में, इस कार्यक्रम को, यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के रूप में परिवर्तित किया गया।

    भारत कोवैक्स का प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है, जो कि एक वैश्विक पहल है। इस पहल का उद्देश्य यूनिसेफ, ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्युनाइज़ेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा महामारी की तैयारी में जुटे अन्य संगठनों तक कोविड-19 टीकों की समान पहुँच उपलब्ध करना है। भारत ने विभिन्न देशों में कोविड वैक्सीन की आपूर्ति करने हेतु ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल भी शुरू की है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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