ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद ज़रीफ़ ने बयान दिया कि भारत ने ईरानी तेल को खरीदते रहने की प्रतिबद्धता दिखाई है। उन्होंने कहा दोनों राष्ट्र आर्थिक साझेदारी जारी रखेंगे।
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके समकक्षी ईरान के विदेश मंत्री की मुलाकात संयुक्त राष्ट्र की बैठक के इतर हुई थी। अमेरिका के प्रतिबन्धों ने तेहरान के तेल निर्यात करने पर टांग अड़ाई है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई में ईरान के साथ हुई अंतर्राष्ट्रीय परमाणु संधि से अमेरिका को बाहर निकाल लिया था। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संघठन में तीसरे सबसे विशाल तेल उत्पादक पर वांशिगटन नए प्रतिबन्ध थोपने वाला है।
वंशिगटन अपने सहयोगी देशों को पूर्ण प्रतिबन्ध लागू होने यानी चार नवम्बर से तेल आयत शून्य करने पर मजबूर कर रहा है।
ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि हमेशा से ही उनके भारतीय मित्र का तेहरान के साथ आर्थिक भागीदारी में सहयोग करने का आश्य स्पष्ट रहा है। साथ वह तेहरान से तेल आयत करना जारी रखा है। उन्होंने कहा यही उन्हें भारतीय विदेश मंत्री से सुनने को मिला है।
उन्होंने कहा चीन के बाद भारत तेहरान का सबसे बड़ा तेल खरीददार है। उन्होंने कहा की ईरान का भारत के साथ व्यापक सहयोग है। जिस सहयोग में उर्जा का क्षेत्र भी सम्मिलित है और ईरान सदैव ही भारत के लिए ऊर्जा का व्यापक स्त्रोत रहा है।
ईरान भारत का तीसरा तेल आपूर्तिकर्ता देश है। ईरान के तेल मुफ्त में पहुंचाने और रकम के भुगतान करने की समयसीमा को बढाने के कारण इस वर्ष दक्षिणी एशियाई राष्ट्रों ने तेहरान से अधिक मात्रा में तेल खरीदने की योजना बनाई है।
ईरान पर लगाये पिछले प्रतिबंधों के बावजूद भारत तेहरान के साथ व्यापार करने वाले कुछ देशों में शुमार था।
ईरान में भारत का जमीनी रास्ते से व्यापार को बढ़ाने के मंसूबों वाला चाबहार बंदरगाह का निर्माण हो रहा है। यह बंदरगाह लाखों डॉलर के व्यापार का रास्ता खोलेगा साथ ही पाकिस्तान पर नई दिल्ली के आश्रित रहने को भी कम करेगा।
यह योजना अनुमानित साल 2019 तक प्रभावी हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार भारत ने इस बंदरगाह के विकास के लिए यूको बैंक से 3.5 मिलियन डॉलर की गारंटी दी है।
ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि तेहरान चाहबार बंदरगाह की क्षमता का भारत और अन्य निवेशकों की सहायता से और अधिक विस्तार करना चाहता है।