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    प्रणब मुखर्जी की अपने जीवन की आखिरी किताब ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ के कुछ संस्मरण सामने आए हैं। प्रणब मुखर्जी ने किताब अपने निधन से पहले ही लिख ली थी, लेकिन यह किताब छपने का संयोग उनकी मौत के बाद ही बन पाया। इस किताब को लेकर उनके बेटे और बेटी को बीच कुछ विवाद भी रहे। उनके बेटे का कहना था कि यह किताब छपने से पहले उनको पढ़ने के लिए दी जाए, वहीं उनकी बेटी का कहना था कि पिताजी इस किताब को अपने मरने से पहले ही ठीक से पढ़ कर देख कर समाप्त कर चुके हैं। अब इसे सीधे छपने भेज देना चाहिए।

    वहीं सब विवादों के बीच उनकी किताब के कुछ अंश सामने आए हैं। उन्होंने अपनी किताब में  प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है व सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी कुछ विशेष टिप्पणी उन्होंने की है। वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री के पाकिस्तान दौरे को अनावश्यक भी बताया। साथ ही सबसे बड़ी खबर यह है कि उनकी किताब में यह दावा किया गया है कि यदि नेहरू की सहमति होती तो आज नेपाल भारत का हिस्सा हो सकता था।

    कहा जा रहा है कि इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के मजबूत ना होने पर दुख भी जताया है। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा है कि कांग्रेस की वर्तमान परिस्थिति और 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने का कारण यही है कि कांग्रेस अपने करिश्माई नेतृत्व को कभी सही से समझ ही नहीं पाई। इसी तरह प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस के संबंध में और भी कई खुलासे इस किताब में किए हैं, जिसके कारण कांग्रेसी नेताओं को इस किताब के छपने से समस्या हो रही थी। लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही यह किताब बाजार में आ जाएगी और प्रणब मुखर्जी के जीवन के अंतिम दिनों के संस्मरण हम सभी के बीच होंगे।

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