मुंबई, 7 जून (आईएएनएस)| भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद (साध्वी) प्रज्ञा सिंह ठाकुर शुक्रवार को यहां की विशेष एनआईए अदालत में पेश हुईं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 के मालेगांव बम विस्फोट की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वह इस मामले की प्रमुख आरोपियों में से एक मानी जाती हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत के समक्ष पेश प्रज्ञा ने विशेष न्यायाधीश वी.एस. पदालकर से कहा, “मुझे जानकारी नहीं है।”
इस मामले के दूसरे आरोपी सुधाकर द्विवेदी ने भी विशेष अदालत के सामने प्रज्ञा जैसा ही बयान दिया।
विशेष अदालत इस मामले की सुनवाई 29 सितंबर, 2008 से ही कर रही है। महाराष्ट्र के नासिक जिले स्थित मालेगांव में जुम्मे की नमाज के दिन एक मस्जिद के पास विस्फोट किया गया था, जिसमें छह लोगों की मौत हुई थी और 100 घायल हुए थे।
प्रज्ञा (49) पिछली दो तारीखों पर पेश नहीं हुई थीं। जब गुरुवार को भी वह पेश नहीं हुईं, तब उन्हें शुक्रवार को दिन के एक बजे पेश होने का कड़ा निर्देश जारी किया गया था।
विशेष अदालत ने सोमवार को उनकी इस अपील को खारिज कर दिया था कि इस हफ्ते उन्हें सुनवाई के दौरान पेशी से छूट दी जाए, क्योंकि हाल ही में भोपाल से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी हैं।
मालेगांव बम विस्फोट मामले में नौ साल जेल में रह चुकीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर रिहा हुई थीं और कुछ ही दिनों बाद देश ने उन्हें लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में जाना। मालेगांव विस्फोट मामले के जांच अधिकारी रहे महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख शहीद हेमंत करकरे के बारे में अपमानजनक टिप्पणी के कारण देशभर में उनकी निंदा की गई। इसके बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ कहकर प्रज्ञा ने पार्टी और प्रधानमंत्री तक को असमंजस में डाल दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह इसके लिए कभी प्रज्ञा को माफ नहीं करेंगे, फिर भी वह चुनाव में विजयी घोषित की गईं। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को हराया।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान मालेगांव विस्फोट मामले के अन्य आरोपी भी अदालत में मौजूद थे। विशेष न्यायाधीश पदालकर ने उन्हें अदलत की कार्यवाहियों के समय हफ्ते में कम से कम एक बार पेश होने का आदेश दिया।
प्रज्ञा को उनके दो सहयोगी सहारा देकर अदालत कक्ष में ले गए। वह एक बेंच पर बैठीं, जिस पर वॉलवेट का लाल कपड़ा बिछा था। जब उन्हें कुर्सी पर बैठने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि वह एक खिड़की के सामने झुककर खड़ी रहना चाहेंगी।
विशेष न्यायाधीश ने कहा कि विशेष अदालत ने अब तक 116 गवाहों से पूछताछ की है। हालांकि प्रज्ञा ठाकुर ने गवाहों की संख्या के बारे में जानकारी होने से इनकार किया।
प्रज्ञा के अलावा इस मुकदमे का सामना द्विवेदी और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित कर रहे हैं।
एनआईए हालांकि प्रज्ञा को क्लीनचिट दे चुकी है, फिर भी एनआईए की विशेष अदालत उन्हें इस मामले से बरी करने से इनकार कर चुकी है।
प्रज्ञा और अन्य आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, विस्फोट अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा चल रहा है। अदालत हालांकि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत इन सभी पर लगे कड़े आरोप हटा लिए हैं।
एनआईए ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी अप्रैल, 2011 में महाराष्ट्र आतंकरोधी दस्ता (एटीएस) से अपने पास ले ली थी।
आरोपपत्र में प्रज्ञा, पुरोहित और द्विवेदी के अलावा अन्य 14 लोगों के नाम हैं, जिनमें मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, राकेश धवाडे, प्रवीण तकालकी और सुधाकर चतुर्वेदी भी शामिल हैं।
इस मामले में शिवनारायण कलसांग्रा, श्याम साहू, अजय राहिरकर और जगदीश म्हात्रे को जमानत मिल चुकी है, जबकि दो अन्य-संदीप डांगे और रामचंद्र कलसांग्रा अब तक फरार हैं।