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    नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 76 साल पहले आज ही के दिन पहली बार आजाद हिंद फौज का झंडा फहराया था, और यह ध्वजारोहण पोर्ट ब्लेयर में हुआ था। इस ध्वजारोहण की 76वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने सोमवार को पोर्ट ब्लेयर में एक बार फिर ध्वजारोहण किया। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री चौबे ने इस अवसर पर कहा, “यह एक गौरवशाली पल है।

    अंडमान निकोबार दीप समूह भारत के स्वतंत्रता का एक अनमोल प्रतीक है। जिस तरह से यहां पर देश भक्तों को यातनाएं दी जाती थीं, सजा दी जाती थी, इसे सुन कर ही रूह कांप जाती है। यहां देशभक्तों का शरीर भले ही टूट जाता था, लेकिन हौसला नहीं। यहां आकर असीम ऊर्जा का अनुभव हो रहा है।”

    चौबे ने कहा, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी के बहुमूल्य अनमोल नायक हैं। नेताजी ने जिस स्थान पर आजादी का झंडा फहराया था, उसे अब सुभाष चंद्र बोस द्वीप कहा जाता है। इसी जगह पर मुझे आज ध्वजारोहण का मौका मिला, यह एक गौरवशाली और प्रेरणादायक पल रहा।”

    सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर 150 फुट ऊंचा राष्ट्रध्वज लगा हुआ है। इस अवसर पर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल डी. के. जोशी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश सहित बड़ी संख्या लोग उपस्थित थे।

    चौबे यहां सेल्यूलर जेल भी गए, और वहां उन्होंने वीर सावरकर के कक्ष को नमन किया और शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

    उन्होंने बताया, “मन काफी उद्वेलित था जब उस कोठरी को देखा, जिसमें केवल एक रौशनदान था। उन्हें 10 वर्ष तक भयंकर यातनाएं दी गईं, जिसका स्मरण करते ही मन विचलित हो उठा। उनके कक्ष में शांति का अनुभव हुआ।”

    चौबे ने यहां सीएए विरोध के लिए विपक्षी दलों की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि “नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर विपक्षी दल गलत बयानबाजी कर रहे हैं। जनता को उकसाने का कार्य कर रहे हैं, जो निंदनीय हैं।”

    उल्लेखनीय है कि 30 दिसंबर, 1943 को पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर के रॉस द्वीप में आजाद हिंद फौज का झंडा फहराया था। अब इस स्थान को सुभाष दीप कहा जाता है। पिछले साल 30 दिसंबर, 2018 को 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां ध्वजारोहण किया था।

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