बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या लोगों को पोप फ्रांसिस से काफी उम्मीदे है। पोप फ्रांसिस म्यांमार के बाद बांग्लादेश के दौरे पर है। रोहिंग्या शरणार्थियों को आशा है कि पोप फ्रांसिस उन्हें म्यांमार की नागरिकता प्राप्त करवाने के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करवा सकते है।
शुक्रवार को रोहिंग्या का समूह पोप के साथ मुलाकात करने की राह देख रहा है। इन लोगों को लगता है कि पोप उन्हें वापस से म्यांमार में अपने घर नागरिकता व पूरी सुरक्षा के साथ पहुंचाने में मदद कर सकते है।
बांग्लादेश की राजधानी ढ़ाका में पोप फ्रांसिस रोहिंग्या लोगों के साथ मिल सकते है। रोहिंग्या चाहते है कि पोप हमें रोहिंग्या नागरिकता प्राप्त करने में मदद करे और हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या लोगों ने पोप के दौरे पर कई आशाएं जताई है। एक रोहिंग्या शरणार्थी ने कहा कि जब मैं उससे मिलूंगा तो मैं उसे बताऊंगा कि म्यांमार में वहां की सेना ने हमें मार डाला और हम पर काफी अत्याचार किए।
रोहिंग्या पोप की यात्रा को लेकर है आशावादी
वे हमारे साथ अमानवीय रूप से व्यवहार करते है, हमे अपनी संपत्ति, जमीन और घरों को मजबूरन छोड़ना पड़ा। रोहिंग्या शरणार्थी ने कहा कि मैं पोप से हमें नागरिकता दिलाने की मांग करूंगा। मैं उनसे हमारे लिए बुनियादी अधिकारों की व्यवस्था करने के लिए कहूंगा।
इससे पहले पोप फ्रांसिस ने गुरूवार को बांग्लादेश दौरे के दौरान कहा था कि वैश्विक समुदाय को इस संकट की घड़ी में रोहिंग्या की मदद के लिए आगे आना चाहिए और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।
लेकिन म्यांमार दौरे के दौरान पोप ने रोहिंग्या नाम का जिक्र तक नहीं किया। इस बात को लेकर कई रोहिंग्या मुसलमानों ने दुख भी जताया है।
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित एक रोहिंग्या नेता ने कहा कि वो पोप फ्रांसिस द्वारा गले लगाए जाने को तत्पर है। एक 35 साल के रोहिंग्या का कहना है कि पोप फ्रांसिस इतने बड़ा नेता है, मुझे यकीन है कि जब हम उससे मिलेंगे तो वह हमारे डर और संदेहों को दूर करने में सक्षम होगा। ज्यादातर रोहिंग्या के लोग पोप की यात्रा को लेकर आशावादी नजर आ रहे है।