प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना जिसे लोकप्रिय रूप से आयुष्मान भारत के नाम से जाना जाता है हाल समय में वित्त की कमी से जूझ रही है। सरकार की तरफ से इसे आशा के अनुरूप वित्त के रूप में भरपूर समर्थन नहीं मिल पा रहा है।
NHA को दी गयी धनराशी में की कटौती :
नेशनल हेल्थ एजेंसी जोकि प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना को लागू करती हैं उसने इस योजना के लिए कुल 7400 करोड़ रूपए मांगे थे लेकिन वित्त मंत्रालय ने इसके लिए केवल 7200 करोड़ का वित्त ही पारित किया। इसके अतिरिक्त कुछ समय बाद मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फॅमिली वेलफेयर ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर दूसरी योजनाओं के वित्त पर कब्ज़ा करने का हवाला देते हुए आयुष्मान योजना के बजट में कटौती करने को कहा। इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गयी।
इसके तहत इस स्कीम के वित्त में लगभग 6,400 करोड़ की कटौती कर ली गयी है। इसके अलावा NHM यानी नेशनल हेल्थ मिशन जोकि स्वास्थ की विभिन्न योजनाएं लागू करता है उसने आयुष्मान भारत के लिए 35,000 करोड़ रूपए मांगे थे जिसमे से उनको केवल 27,000 करोड़ ही आवंटित किये गए।
NHM के अधिकारी का बयान :
एनएचएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मुद्दे पर अपना बयान देते हुए कहा की
वर्तमान वर्ष में हमने जो कुल वित्त की मांग की थी हमें उसकी 23 प्रतिशत कम राशि प्रदान की गयी है। लेकिन यह पिछले वर्ष से 7 प्रतिशत अधिक है। जैसे जैसे इस योजना के लाभार्थी बढ़ रहे हैं और जिस तरह से अधिक राज्य इसमें शामिल हो रहे हैं, उसे देखते हुए, हम 2019-20 में 9 12,000 करोड़ तक खर्च करने की उम्मीद करते हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत -, 7,200 करोड़ केंद्र का हिस्सा है। हमें इतने वित्त की सख्त ज़रुरत है।
ये राज्य कर रहे संघर्ष :
तमिल नाडू ने स्कीम के तहत केंद्र से कुल 360 करोड़ रुपयों की मांग की थी। हाल ही में अधिकारियों ने बयान दिया की केंद्र ने इसके लिए कुल केवल 36 करोड़ रूपए ही दिए हैं। इसके कारण हमें राज्य से वित्त लेकर इस स्कीम को चलाना पड़ रहा है।
इसके अलावा यदि हम मध्य प्रदेश का उदाहरण ले तो उसके द्वारा कुल 100 करोड़ की मांग की गयी थी लेकिन अभी तक वहां केवल 15 करोड़ दिए गए हैं। नेशनल हेल्थ एजेंसी को डर है की यदि वित्त की कमी से राज्यों ने केंद्र का साथ छोड़ दिया तो इसके भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं।