भारतीय रेलवे की यात्री ट्रेनों में अभी तक इतेमाल होने वाली पैंट्री कार को अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हिसाब से बदला जाएगा। इसी के साथ इनके द्वारा ग्राहकों को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता को भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ ही बनाया व परोसा जाएगा।
इसके लिए भारतीय रेलवे ने लंबी दूरी के लिए चलने वाली ट्रेनों की पैंट्री कार सुविधा को अब पूरी तरह से बदलने का इरादा किया है।
इस काम की ज़िम्मेदारी रेलवे ने आईआरसीटीसी को दी है। रेलवे ने इस बाबत मंगलवार को ही सर्क्युलर जारी कर दिया है। सर्क्युलर के अनुसार इस पूरे काम को पूरा करने की ज़िम्मेदारी आईआरसीटीसी के पास ही रहेगी।
गौरतलब है कि यह सर्क्युलर इस लिए भी खास है, क्योंकि पैंट्री कार की मरम्मत व देखरेख सबंधी सभी जिम्मेदारियों को अभी तक भारतीय रेलवे स्वयं ही उठा रहा था।
वहीं आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने अपने बयान में कहा है कि “अब पैंट्री कार की देख-रेख संबंधी ज़िम्मेदारी हमारे पास आ जाने से हम इसके कामकाज में भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सफाई का ख्याल रख पाएंगे।”
वर्तमान में करीब 350 ट्रेनों में पैंट्री कार की सुविधा उपलब्ध है। आईआरसीटीसी ने रेलवे को बताया है कि इस काम को पूरा करने में करीब 2 से तीन साल का समय लगेगा। जबकि आईआरसीटीसी ने इस काम में आने वाली संभावित लागत 200 से 250 करोड़ के बीच बताई है।
इसके तहत अगले आईआरसीटीसी को पैंट्री कार को नए मानकों के अनुसार ही डिज़ाइन करना होगा।
मालूम हो कि आईआरसीटीसी ने अपनी कमाई को लेकर रेलवे से 15:85 के अनुपात में राजस्व को बांटने की बात कही है, जबकि वर्ष 2017 में यह अनुपात 40:60 था।
वर्ष 2017 में कैग की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रेलवे में परोसा जा रहा खाना इन्सानों के खाने लायक ही नहीं है, इसी के बाद से ही रेलवे ने अपने स्तरों में सुधार को लेकर का शुरू कर दिया था।
रेलवे ने उसके बाद से ही अपनी प्रीमियम ट्रेनों में परोसे जाने वाले खानपान का मैन्यू बदल दिया था। तब से रेलवे अपने यात्रियों को परोसे जा रहे खाद्य सामग्री को लेकर सतर्क है।