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    पेरिस समझौता अमेरिका

    जलवायु परिवर्तन को लेकर किया गया पेरिस समझौता विश्व के अधिकतर देशों को मान्य है। लेकिन जब से अमेरिका ने खुद को इस समझौते से अलग किया है तब से ही दुनिया के कई देशों में बेचैनी बढ़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल जून में पेरिस समझौते से अलग होते हुए कहा था कि इस समझौते की वजह से अमेरिका को नुकसान होगा।

    साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट की आशंका जताई थी। ऐसा कहकर ट्रम्प ने अमेरिका को इस समझौते से अलग करने का ऐलान किया था। लेकिन एक बार फिर से ट्रम्प ने पेरिस समझौते में शामिल होने की इच्छा जताई है।

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि अगर पेरिस समझौते में भारी बदलाव किया जाएगा तो अमेरिका इस समझौते पर हस्ताक्षर के लिए तैयार हो सकता है। ब्रिटेन के आईटीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में ट्रम्प ने कहा कि मौजूदा पेरिस समझौता अमेरिका के लिए भारी आपदा साबित होगा। उन्होंने कहा, ‘अगर समझौते को अच्छा बनाया गया, तो उसमें हमारे लौटने का अवसर रहेगा।’ पेरिस समझौते में भारी बदलाव की जरूरत भी बताई।

    वर्तमान पेरिस समझौता अमेरिका के लिए अनुचित

    ट्रम्प ने साफ तौर पर कहा कि अगर मौजूदा पेरिस समझौते के स्थान पर अलग समझौता किया जाएगा तो वे इस समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते है। ट्रम्प ने वर्तमान पेरिस समझौते को अमेरिका के लिए “भयानक” और “अनुचित” के रूप में बताया।

    डोनाल्ड ट्रम्प से पहले पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसे ट्रम्प ने सत्ता में आने के बाद बदल दिया था। दरअसल ट्रम्प इस समझौते मे अमेरिका के लिए अनुकूल शर्तों को लागू करवान चाहते है। पेरिस समझौते का उद्देश्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम कर दुनियाभर में बढ़ रहे तापमान को रोकना है।

    इसके लिए प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में आर्थिक राशि दिए जाने का भी इसमें प्रावधान है। अन्य देशों को चिंता है कि अमेरिका के शामिल नहीं होने की वजह से पेरिस समझौते को लागू करने में काफी मुश्किल हो सकती है।