पेरिस में हुए येलोलो वेस्ट प्रदर्शन पर फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मक्रों ने आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है। फ्रांस में महंगाई, शुल्क में वृद्धि और ईंधन जैसे कई मुद्दों को लेकर बीते चार हफ़्तों से हिंसक प्रदर्शन जारी है। राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मक्रों ने आगामी वर्ष से न्यूनतम वेतन में 100 यूरों की वृद्धि की जाएगी, जो प्रदर्शनकारियों की चिंता का कारण था।
साल 2018 में न्यूनतम आय में 1498 यूरो प्रति माह तय थी और शुल्क के बाद यह 1185 हो जाती है। साथ ही उन्होंने पेंशन भोगियों पर लगाये गए कई शुल्कों को रोक दिया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों और न्यूनतम आय वाले लोगों द्वारा प्रदर्शन का नतीजा लम्बी अवधि तक दिक्कते पैदा कर सकता है।
राष्ट्रपति ने हिंसक प्रदर्शन की निंदा करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों का आक्रोश जायज है और गंभीर भी है। उन्होंने कहा कि मुझे स्वीकार है कि मेरी नीतियों से कई लोगों को परेशानियां हुई है, कई लोगों का जीवनस्तर बद्तर हुआ है और उन लोगों को लगता हैं कि सरकार उन्हें नज़रंदाज़ कर रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मे अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करता हूं, मैंने आपको अपनी प्राथमिकताएं और चिंताए अलग बताई, जिससे कई लोगों का तिरस्कार हुआ हैं। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक एम्मनुअल मक्रों आम जनता और उनकी दिक्कतों को नज़रंदाज़ कर रहे हैं।
इस भाषण में उन्होंने जनता में बनी अपनी छवि में सुधार करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि वह फ्रांस के हर इलाके के मेयर से मुलाकात कर जनता के मुद्दों के बाबत बातचीत करेंगे।
पेरिस आन्दोलन
इस प्रदर्शन में आंदोलनकारी पेंशन में वृद्धि, टैक्स के कमी, उच्च तनख्वाह और राष्ट्रपति मैक्रोन की सरकार को जनता की सरकार में तब्दील होने की मांग की है। पेरिस में 17 नवम्बर को यह प्रदर्शन शुरू किया गया था। आंतरिक मंत्रालय के मुताबिक इस प्रदर्शन में एक लाख 36 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था।