करीब एक महीने के इंतजार के बाद तिब्बतियों को पेंपा सेरिंग के रूप में उनका अगला सिक्योंग (प्रधानमंत्री) मिल गया। पेंपा सेरिंग ने केलसंग दोरजे 5441 वोट के अंतर से हराया। पेंपा सेरिंग को धर्मगुरु दलाईलामा का काफी करीबी माना जाता है। निर्वासित तिब्बत सरकार (केंद्रीय तिब्बती प्रशासन) के चुनाव आयोग के आयुक्त वांगडु सेरिंग पेसर ने शुकवार को ऑनलाइन चुनाव नतीजों की घोषणा की। इसके साथ ही वांगडु ने 17वीं निर्वासित तिब्बत संसद के 45 नवनिर्वाचित सांसदों की विजय की भी घोषणा की। चुनाव नतीजों में कुल 63991 मतों में से पेंपा सेरिंग को 34348 और केलसंग दोरजे को 28907 वोट मिले। वर्तमान में निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसंग सांग्ये का कार्यकाल 26 मई को खत्म होगा। इसी दिन या इसके बाद पेंपा सेरिंग नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले सकते हैं। पेंपा सेरिंग हमेशा बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा की मध्य मार्ग नीति का समर्थन करते रहे हैं।
इन देशों में हुुुआ था मतदान
आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूके, जापान, नेपाल, अमेरिका, रूस, ताइवान सहित भारत के कई हिस्सों में तिब्बती लोगों ने नए प्रधानमंत्री के लिए मतदान किया था।
दो चरणों में हुआ मतदान
3 जनवरी को तिब्बतियों ने निर्वासित तिब्बत सरकार के पीएम पद समेत 45 सदस्यीय निर्वासित संसद के उम्मीदवारों के लिए पहले चरण का मतदान किया था। दूसरे और आखिरी चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को हुई थी। पहले चरण में करीब आठ उम्मीदवार मैदान में थे। द्वितीय चरण में दो ही उम्मीदवारों पेंपा सेरिंग और केलसंग दोरजे के नाम फाइनल हुए थे। दुनिया भर में करीब 80 हजार तिब्बतियों ने मतदान के लिए पंजीकरण करवाया था। दूसरे चरण में करीब 77 फीसदी तिब्बतियों ने मतदान किया। चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रधानमंत्री और सांसद के उम्मीदवारों ने आरोप-प्रत्यारोप रहित ऑनलाइन प्रचार ही किया था।
चीन सरकार के साथ शुरू करेंगे बातचीत : सेरिंग
निर्वासित तिब्बत सरकार के नए प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने अमर उजाला से विशेष बातचीत में बताया कि वह धर्मगुरु दलाईलामा की मध्य मार्ग नीति को आगे बढ़ाएंगे। चीन सरकार के साथ रुकी हुई बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाने और धर्मगुरु दलाईलामा की तिब्बत जाने की इच्छा पूरी करने का प्रयास करेंगे। अमेरिका के साथ संवाद और ज्यादा गहरा किया जाएगा। भारतीय लोगों की भावनाएं चीन के विरोध में हैं। वह चाहते हैं कि भारत तिब्बत पर अपनी स्थिति और ज्यादा मजबूत करे। तिब्बत मुद्दे पर भारत के नेताओं के साथ मिलकर व उनकी सलाह लेकर एकजुट होकर काम करेंगे।