अमेरिका के पेंटागन के कार्यकारी अध्यक्ष पैट्रिक षानहन ने सोमवार को अफगानिस्तान का औचक दौरा कर सबको चौका दिया था।
मिलिट्री टाइम्स के मुताबिक अफगानिस्तान में वह राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिले, इस दौरान अमेरिका और तालिबान के मध्य शान्ति वार्ता जारी है। हाल ही में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय ख़लीलज़ाद ने क़तर में तालिबान के शान्ति प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बीते 17 वर्षों से जारी इस युद्ध से अपने देश को बाहर निकालना चाहते हैं। अमेरिका के अभी अफगानिस्तान में 14 हज़ार सैनिक तैनात है। तालिबान और अफगान सरकार के मध्य बिना किसी शान्ति समझौते के अगर अमेरिकी सैनिक सरजमीं छोड़ देंगे तो अशरफ गनी की परेशानियों में इजाफा होगा।
इससे पूर्व पेंटागन के अध्यक्ष ने पत्रकारों से कहा था कि वांशिगटन ने अभी तक अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के कोई आदेश नहीं दिए हैं। उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान में हमारी उपस्थिति हमारी सरजमीं की रक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को सहयोग करने के लिए है।”
उन्होंने कहा कि काबुल के लिए मुश्किलों भरा वक्त है कि अफगानिस्तान, क़तर में बातचीत के लिए नहीं था। वह अफगानिस्तान के भविष्य की बातचीत में मौजूद नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि “अफगानियों को अपनी सरजमीं के भविष्य के बारे में निर्णय लेना होगा। यह अमेरिका के बारे में नहीं है यह अफगानिस्तान के लिए हैं।”
अमेरिका, अफगानिस्तान को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सार्थक है, लेकिन अफगानिस्तान को अपने भविष्य का निर्णय खुद लेना है। पेंटागन के अध्यक्ष ने अफगानिस्तान में तैनात वरिष्ठ कमांडर स्कॉट मिलर से मुलाकात की। उन्होंने जमीनी हालातों के बाबत बातचीत की और अफगान विशेष सेना के कैंप में गए।
अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद जुलाई से पूर्व ही शान्ति प्रस्ताव को अमल में हैं क्योंकि इस दौरान अफगान में राष्ट्रपति चुनावों का आयोजन होना है। तालिबान के साथ छह दिनों की बातचीत के बाद उन्होंने सभी पक्षों से बातचीत के लिए छह राष्ट्रों की यात्रा की थी।
तालिबान ने अफगानिस्तान सरकार से बातचीत को इंकार किया है और उन्हें अमेरिकी सरकार के हाथ की कठपुतली कहा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि अमेरिका और तालिबान के मध्य कोई भी शांति समझौता बिना अफगानी सरकार के संभव नही है, इसमे उनकी सरकार निर्णायक होगी। उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि किसी भी शांति समझौते के अंत मे अफगानी सरकार निर्णायक भूमिका में होगी। उन्होंने कहा कि कोई भी ताकत सरकार को नहीं खत्म के सकती हैं।
हाल ही में खुफिया विभाग ने चेतावनी दी थी कि अमेरिस सैनिकों की सीरिया और अफगानिस्तान से वापसी अलकायदा और इस्लामिक स्टेट को वापसी का मार्ग मुहैया कर सकती है। गुरूवार को भी सदन में इसके खिलाफ समर्थम दिया गया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों से उनकी घरवापसी का वादा , मेरे राष्ट्रपति पद पर चयन का प्रमुख भाग था।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने कहा कि सभी विदेशी सेनाएं हमारी सरजमीं को छोड़ देंगी, क्योंकि यह चरमपंथी समूह तालिबान की मांग है। तालिबान और अमेरिका के अम्ध्य शांति वार्ता में सार्थक प्रगति हो रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी अफगानी विदेशी सेना को अपनी सरजमीं पर लम्बे अंतराल तक तैनात नहीं चाहता है।