प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने गुरुवार को आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्मा को स्थानांतरित करने के केंद्र के फैसले को पलटने के एक दिन बाद यह फैसला आया।
पूर्व सीबीआई निदेशक ए पी सिंह ने इस पूरे विवाद पर कहा कि संस्था की छवि को बड़ा झटका लगा है। उनके मुताबिक, “सीबीआई की अखंडता में निश्चित रूप से कमी आई है। इससे भी बड़ी धारणा यह है कि सीबीआई में समूहवाद चल रहा है। दो समूह एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। नए प्रमुख को भी इस छवि को सुलझाना होगा। पर्याप्त सक्षम अधिकारी हैं जिन्होंने सीबीआई में काम किया है और जो भी चुना जाता है वह अच्छे से काम करेगा।”
आलोक वर्मा ऐसे पहले निदेशक है जिन्हें इतना कुछ सहना पड़ा। उनका कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म होगा और फ़िलहाल उन्हें डीजी फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स का प्रभार दिया गया है।
By removing #AlokVerma from his position without giving him the chance to present his case, PM Modi has shown once again that he's too afraid of an investigation, either by an independent CBI director or by Parliament via JPC.
— Congress (@INCIndia) January 10, 2019
उन्होंने आगे कहा-“इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बनाई गयी संस्था को स्वतंत्रता दी थी। उसने कहा था कि सरकार सीबीआई निदेशक को नहीं हटा सकती। अगर आप सीबीआई निदेशक को अछूत कर रहे हैं तो आप मूल रूप से पूरी सीबीआई को अछूत कर रहे हैं। एससी ने कभी नहीं कहा कि उन्होंने सीवीसी द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट में तहकीकात की है। उसने कहा था कि ये समिति के पास जाएगी।”
शीर्ष कोर्ट ने सरकार से आदेश के एक हफ्ते के अन्दर अन्दर ही मीटिंग बुलाने के लिए कहा था। उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमे उन्होंने वर्मा और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना को भ्रष्टाचार के लगे आरोपों के कारण छुट्टी पर भेज दिया था।
वर्मा के बारे में सवाल करने पर सिंह ने कहा-“मैंने श्री वर्मा के साथ काम किया हुआ है। इसके अलावा मैंने उनके बारे में कभी और किसी घटना को नहीं सुना। इस घटना के पहले उनकी छवि से कभी कोई दिक्कत नहीं थी। हालांकि मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता।”