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    श्रद्धांजलि

    श्रीनगर, 5 जुलाई (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर के एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को अपने एक निजी सुरक्षा गार्ड को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनकी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। अधिकारी ने गार्ड को ‘एक सच्चा देशभक्त’ बताया और आश्चर्य जताया कि इनकी कहानियां अनकही क्यों रह जाती हैं।

    यह श्रद्धांजलि सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इसने कश्मीर घाटी में बेशुमार लोगों के दिलों को छुआ है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के शैलेंद्र मिश्रा अशांत शोपियां जिले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) थे, जब आतंकवादियों द्वारा जावेद अहमद डार का अपहरण किया गया और हत्या कर दी गई। यह हत्या आज ही के दिन बीते साल निर्मम तरीके से की गई थी।

    जावेद अहमद डार, जेडी के नाम जाने जाते थे।

    मिश्रा बताते हैं कि 27 साल के जेडी कितने दयालु थे।

    मिश्रा ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “सर, इसके घर में प्राब्लम है, इसको छुट्टी देना है और मैंने तुंरत कहा था, हां। ऐसे थे जेडी, टीम में हमारे प्रिय।”

    उन्होंने लिखा, “सुरक्षा दल में सभी उनसे (जेडी) प्यार करते थे। सुरक्षा दल काम के दौरान मुझे नुकसान पहुंचाए जाने से बचाता था। यह दल मुझे घर पर या घाटी के अशांत जिलों के स्थानीय कश्मीरी टीमों से क्रिकेट के खेल के दौरान मुझे सुरक्षा देता था।”

    मिश्रा ने लिखा, “मैं नहीं जानता कि वह मुझे इतने ज्यादा क्यों पसंद थे। दक्षिण कश्मीर के शोपियां के अशांत वेहिल गांव में जन्मे जेडी पांच भाई-बहनों में से एक थे।”

    उन्होंने लिखा, “वह हर लड़ाई में मेरे साथ थे और कई मौकों पर सुरक्षित वापसी मैं उनकी बहादुरी के कारण ही कर सका, इसके लिए मैं उनका एहसानमंद था। उनके प्रयासों के लिए जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने औपचारिक रूप से उन्हें मान्यता दी, प्रतिष्ठित शेर-ए-कश्मीर मेडल से सम्मानित किया। हम उनसे मजाक करते रहते थे। हम कहते थे कि उनकी बारात एक बड़े से पुलिस काफिले की शक्ल में उनके गांव लेकर जाएंगे।”

    भाग्य ने एक दुखद मोड़ लिया।

    उन्होंने लिखा, “आज ही के दिन बीते साल 5 जुलाई को जेडी का एक मेडिकल स्टोर के बाहर से आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया, जब वह ड्यूटी पर थे। उन्होंने हवा में गोलियां दागने के बाद जेडी का अपहरण किया, वे अच्छी तरह से जानते थे कि जेडी के पास हथियार नहीं है।”

    उन्होंने लिखा, “मेरा फोन उस दिन शाम 6.45 बजे बजा। यह वही लड़की थी जिससे जेडी प्यार करते थे। वह फोन पर रो रही थी और मुझे पूछ रही थी उसे ही क्यों? मेरे पास कोई जवाब नहीं था। उसने चीखते हुए मुझे उन्हें वापस लाने को कहा।”

    उन्होंने लिखा, “सभी बलों, सभी दोस्तों में से हर कोई जो कुछ कर सकता था, हमने प्रयास किया। भोर में हमें उनका शव मिला, उस दिल में गोलियां लगी थीं। जेडी शहीद हो चुके थे।”

    उन्होंने लिखा, “जेडी शहीद हो चुके थे। उनके जैसे बहुत से लोगों ने ऐसा किया है। लेकिन सवाल अब भी वही है। उनकी कहानियां अनकही क्यों रहती हैं। वह एक नंबर मात्र बनकर क्यों रह जाते हैं। उन्होंने कर्तव्य पथ पर अपना जीवन कुर्बान कर दिया, वह शांति के लिए जिए, वह आइडिया आफ इंडिया से प्यार करते थे।”

    उन्होंने लिखा कि हम जेडी का शव लेकर उनके गांव पहुंचे। सभी पुलिसकर्मी वहां पहुंचकर रो पड़े।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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