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    कानून की एक छात्रा द्वारा यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाए जाने के बाद फिलहाल जेल में कैद पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। चिन्मयानंद के ही कॉलेज की पूर्व प्रधानाचार्या और उनकी पूर्व शिष्या द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए गए यौन उत्पीड़न के एक अन्य मामले की सुनवाई भी कोर्ट 13 दिसंबर को करेगा।

    यह मामला 2012 में शाहजहांपुर सदर कोतवाली में दर्ज किया गया था।

    पीड़िता के वकील मुकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि अक्टूबर 2012 में आरोप पत्र दाखिल होने के बावजूद मामला लंबित था।

    योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले साल चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने की कोशिश की थी, लेकिन पीड़िता के आपत्ति दर्ज कराने के बाद कोर्ट ने सरकार को मामला वापस लेने की अनुमति नहीं दी।

    कोर्ट ने चिन्मयानंद के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी कर दिया था और तब उन्होंने हाईकोर्ट जाकर उस पर स्थगन ले लिया था। मामले की फाइलें हाईकोर्ट में भी भेज दी गईं थीं, जिन्हें अब शाहजहांपुर जिला अदालत में वापस भेज दिया गया है।

    पीड़िता के वकील ने कहा कि मामले की सुनवाई अब सांसदों, विधायकों की विशेष अदालत में होगी।

    पीड़िता ने 2012 में चिन्मयानंद पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने शाहजहांपुर स्थित मुमुक्षु आश्रम में उसे 2005 से बंदी बनाकर रखा था। पीड़िता ने दावा किया था कि उसे मारा-पीटा गया था और उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया गया था। पीड़िता ने प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि उसे दो बार गर्भपात भी कराना पड़ा था।

    चिन्मयानंद ने पीड़िता के आरोपों को बकवास करार दिया है। उन्होंने कहा था कि दिल्ली निवासी पीड़िता एक कॉल सेंटर में काम करती थी और पहली बार लगभग 11 साल पहले वह अपनी मां के साथ आश्रम आई थी।

    उन्होंने दावा किया था कि वह नए नाम से एक साध्वी के तौर पर रहने लगी और जब उन्होंने उसे उत्तर प्रदेश विधानसभा में टिकट दिलाने में मदद करने से इंकार कर दिया तो लड़की ने उन पर दुष्कर्म के आरोप लगा दिए।

    इसमें रोचक बात यह है कि पीड़िता ने बाद में एक पत्रकार से शादी कर ली और बाद में अपने पति के घर में घरेलू हिंसा का आरोप लगाकर वापस कुछ समय के लिए आश्रम लौट आई थी। बाद में वह फिर आश्रम से निकलकर अपने पति के पास चली गई।

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