शंघाई सहयोग संघठन के आयोजन की शुरुआत हो चुकी है और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping), रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin), अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और किर्ग़िज़स्तान के राष्ट्रपति सूरांबाय जीनबेकोव से मुलाकात करेंगे।
भारतीय प्रधानमंत्री का विमान दोपहर 2:30 बजे मध्य एशियाई देश में लैंड करेगा और आज चीनी, रुसी और अफगानी नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत होगी और इसके आलावा किर्ग़िज़स्तान के राष्ट्रपति सूरांबाय जीनबेकोव के साथ अनौपचारिक रात्रिभोज होगा।
पहले दिन पीएम मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। यह इस वर्ष चीनी राष्ट्रपति के साथ पहली मुलाकात होगी और मसूद अज़हर के वैश्विक आतंकी की सोची में शामिल होने के बाद पहली मुलाकात होगी। इस साल के अंत में चीनी राष्ट्रपति दूसरी अनौपचारिक वार्ता के लिए भारत की यात्रा करेंगे।
ईरान के साथ फोकस ईरानी तेल के निर्यात पर होगा क्योंकि प्रतिबंधों के उजाले में आते ही अमेरिका ने सभी रियायतों को खत्म कर दिया था। चुनावो के बाद पीएम मोदी पहले बहुपक्षीय आयोजन में शामिल हो रहे हैं।
एससीओ सम्मेलन में जाने से पूर्व पीएम मोदी ने कहा कि “एससीओ की विशेष महत्वता से हम जुड़े है वह बहुपक्षीय प्रसार, राजनीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और क्षेत्र में जनता से जनता की परस्पर क्रिया है।” पीएम मोदी ने किर्ग़िज़स्तान की यात्रा के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करेंगे बल्कि ओमान, ईरान और एशियाई देशों से होकर पहुंचेंगे।
एयर इंडिया ने पुष्टि की कि यह मार्ग पाकिस्तानी हवाईक्षेत्र से किसी भी तरीके से जुड़ा हुआ नहीं है। बिश्केक के लिए भारत के समक्ष दो विकल्प मार्ग के रूप में थे।
एससीओ विश्व की 42 फीसदी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, क्षेत्रफल के तौर पर यह 22 फीसदी और जीडीपी के हिसाब 20 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। नई दिल्ली इसे मध्य एशियाई देशों के साथ बातचीत के एक मंच के तौर पर देखता है।