Putin’s Visit of North Korea: रूस के सर्वोच्च नेता व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) इन दिनों उत्तर कोरिया के राजनैतिक दौरे पर हैं। इस दौरे को मॉस्को और प्योंगयांग के बीच बढ़ती द्विपक्षीय प्रगाढ़ता के साथ-साथ वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में कई अन्य चश्मे से देखा जा रहा है।
JUST IN: 🇷🇺 🇰🇵 Russian President Putin arrives in North Korea to meet with Kim Jong Un. pic.twitter.com/3LeVNu369b
— BRICS News (@BRICSinfo) June 18, 2024
रूस के व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन (Kim Jong Un) के बीच की यह मुलाकात कई मायनों में खास हैं। ऐसे में, आइए समझते हैं क्या हैं महत्वपूर्ण बिंदु जिसके इर्द गिर्द इस दौरे को देखा जाना चाहिए.
1. आर्थिक तथा सैन्य समझौता
यह माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण आर्थिक और सैन्य समझौते पर चर्चा हो सकती है। ख़ासकर, उत्तरी कोरिया द्वारा रूस को हथियारों की आपूर्ति तथा उसके बदले में रूस उसे मिसाइल तकनीक, उपग्रह तकनीक आदि कई महत्वपूर्ण तकनीक साझा कर सकता है।
⚡️BREAKING
Putin hints at arming North Korea with long-range precision missiles for strikes on US territory in response to US arming of Ukraine pic.twitter.com/jsp9Yw5o8Y
— Iran Observer (@IranObserver0) June 19, 2024
कुछ ही दिन पहले अमेरिका द्वारा जारी एक तस्वीर के हवाले से यह दावा किया गया था उत्तर कोरिया के तरफ से ट्रेनों में भर भर के हथियार रूस को भेजे जा रहे हैं जिसका इस्तेमाल वह यूक्रेन के ख़िलाफ़ जंग में कर रहा है।
2. पुतिन और किम जोंग उन- दोनों के साख का मामला
पुतिन के द्वारा उत्तर कोरिया के वर्तमान दौरे को इस नजरिए से भी देखा जाना चाहिए कि दोनों ही नेता अपने आमजन के बीच अपनी क्षवि को सुदृढ करना चाहते हैं।
जहाँ एक तरफ़ पुतिन यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका तथा अन्य यूरोपीय देशों के द्वारा तमाम प्रतिबंधों के बावजूद वह दुनिया मे अलग थलग नहीं पड़ा है। उसके “नेचुरल पार्टनर” आज भी उसके साथ हैं।
वहीं किम जोंग उन (Kim Jong Un) अपने देश के निवासियों के बीच अपनी क्षवि को पुतिन के अंदाज़ में ही पुनर्परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं कि नार्थ कोरिया दुनिया से अछूता देश नही है बल्कि पड़ोसी शक्तियों रूस और चीन के साथ संबंध दिन व दिन प्रगाढ़ होता जा रहा है और इस आपसी मेलजोल से आर्थिक से लेकर सांस्कृतिक मोर्चे पर नित नए आयाम हासिल हो रहे है।
3. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के फैसले को पुतिन की चुनौती
पुतिन, अपनी ओर से, यह प्रदर्शित करना चाहते हैं कि रूस के पास अभी भी मित्र और सहयोगी हैं और वह यूक्रेन में रूसी सैनिकों द्वारा कथित तौर पर बच्चों का अपहरण करने के मामले में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court) द्वारा उनके खिलाफ जारी किए गए अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट के बावजूद विदेश यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं।
यह वारंट रूस-यूक्रेन युद्ध मे कथित तौर पर बच्चों का अपहरण करने के आरोप को “वॉर क्राइम” मानते हुए जारी किया गया था जिसके बाद पुतिन को दुनिया के किसी देश से किसी भी प्रकार के (निजी या आधिकारिक) दौरे के दौरान रोम की संधि (Rome Statute, 1998) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है।
4. अमेरिका के दोहरे रवैये के ख़िलाफ़ दोनों देशों की एकजुटता
प्योंगयांग में उतरने से पहले ही, पुतिन ने व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान के लिए नई, अनिर्दिष्ट प्रणालियों के निर्माण की घोषणा की थी। यूक्रेन युद्ध पर प्रतिबंधों के कारण रूस को अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए पश्चिमी नेतृत्व वाली संरचनाओं से प्रभावी रूप से बाहर कर दिया गया है। उत्तर कोरिया इसी तरह अपने परमाणु हथियारों और मिसाइल कार्यक्रमों की सजा के रूप में बैंकिंग और अन्य व्यापार सुविधाओं तक पहुंचने में असमर्थ रहा है।
उत्तर कोरिया के रोडोंग सिनमुन अखबार में मंगलवार सुबह प्रकाशित एक लेख में पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध “समानता, आपसी सम्मान और विश्वास के सिद्धांतों पर आधारित हैं।”
उन्होंने यूक्रेन में “विशेष सैन्य अभियान” के लिए प्योंगयांग के समर्थन पर उत्तर कोरिया के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका “तथाकथित ‘नियम-आधारित आदेश’ को दुनिया पर थोपने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है।” अनिवार्य रूप से ‘दोहरे मानक’ पर आधारित वैश्विक नव-औपनिवेशिक तानाशाही के अलावा और कुछ नहीं।
5. ‘अमेरिका-जापान-दक्षिण कोरिया सुरक्षा संधि’ और NATO को चुनौती
उत्तर कोरिया के रोडोंग सिनमुन अखबार के संपादकीय में पुतिन की “एक उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ” के रूप में प्रशंसा की गई, जो “अपने परिष्कृत कौशल और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ [रूस की] राष्ट्रीय शक्ति को मजबूत कर रहे हैं।”
पुतिन इस दौरे से यह भी स्थापित करना चाहते हैं कि वह न केवल यूरोप में नाटो (NATO) पर हावी है, बल्कि वह सुदूर पूर्व में भी मजबूत है। यह पूर्व एशिया क्षेत्र में ‘अमेरिका-दक्षिण कोरियाई-जापानी सुरक्षा गठबंधन’ के लिए एक सोचा-समझा खतरा है और यह संदेश देने के लिए बनाया गया है।
इन सब से इतर, यह भी सम्भावना है कि पुतिन तेल और गैस सहित उत्तर कोरियाई अर्थव्यवस्था को वांछित प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध कराने पर भी सहमत हो। उम्मीद यह भी है कि किम जोंग उन सैन्य भर्ती के कारण होने वाली कमी की भरपाई के लिए और अधिक मजदूरों को रूस भेजने पर सहमत होंगे।
कुल मिलाकर, यही वह तमाम वजहें हैं जिसके कारण पुतिन का यह दौरा पूरी दुनिया के भू-राजनीति के लिए बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण माना जा रहा है।