Tue. Dec 24th, 2024

    आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जमानत दे दी  है। पी चिदंबरम को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराधों की गंभीरता को हर मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से जोड़कर देखा जाना चाहिए। अदालत ने कहा, “आर्थिक अपराध गंभीर अपराध हैं। अदालतों को मामले की प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।”

    पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पी चिदंबरम को सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित नहीं करने के आदेश दिए हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रेस साक्षातकार देने और केस के संबंध में सार्वजनित बयान देने से भी प्रतिबंधित किया है।

    अदालत ने चिदंबरम को मामले की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश की संतुष्टि के लिए दो लाख रुपये का जमानत बांड जमा करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने पाया कि जमानत संबंधी आदेश से मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है कि कोर्ट की अनुमति के बिना चिदंबरम विदेश यात्रा नहीं कर सकते।

    सुप्रीम कोर्ट में पी चिदंबरम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि पी चिदंबरम, जेल में बंद होने के बावजूत आईएनएक्स मीडिया मामले में महत्वपूर्ण गवाहों पर “पर्याप्त प्रभाव” डाल कर रहे हैं। दूसरी ओर चिदंबरम ने तर्क दिया कि एजेंसी आधारहीन आरोप लगाकर उनके करियर और प्रतिष्ठा को नष्ट नहीं कर सकती।

    ईडी का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आर्थिक अपराध प्रकृति में गंभीर हैं। क्योंकि ये न केवल देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं बल्कि सिस्टम में लोगों के विश्वास को भी हिलाते हैं। खासकर जब यह सत्ता में प्रतिबद्ध लोगों द्वारा किए जाते हैं।

    पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने मेहता के तर्कों का जवाब देते हुए कहा था कि चिदंबरम को कथित अपराध के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं था और न ही यह दिखाने के लिए कोई सामग्री थी कि उन्होंने गवाहों को प्रभावित किया था या केस से संबंधित किसी सबूत के साथ छेड़छाड़ की थी।

    बता दें, वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये के विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को दी गई एफआईपीबी निकासी में अनियमितता का आरोप लगाते हुए सीबीआई ने 15 मई, 2017 को मामला दर्ज किया।

    इसके बाद, उनके खिलाफ ईडी ने धन शोधन का मामला दर्ज किया था। 21 अगस्त को सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आईएसएक्स मीडिया भ्रष्टराचार मामले में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद थे।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *