Sun. Oct 27th, 2024
    malvika bansod

    नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)| किसी भी खिलाड़ी की असल परीक्षा तब होती है जब वह अपने से बेहतर और ऊंचे स्तर के खिलाड़ी के साथ खेलता है। तब उसे अपने खेल की असलीयत पता चलती है। ऐसी ही कुछ भारत की उभरती महिला बैडमिंटन खिलाड़ी मालविका बनसोद के साथ हुआ।

    मालविका रियो ओलम्पिक की रजत पदक विजेता पी.वी. सिंधु का सामना कर चुकी हैं और उस मैच के बाद से उन्हें आत्मविश्वास आया कि वह भी शीर्ष स्तर पर खेल सकती हैं।

    महाराष्ट्र के नागपुर की मालविका ने इसी महीने तिरुवनंतपुरम में हुए ऑल इंडिया जूनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट में लड़कियों के अंडर-19 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।

    भारत की स्टार खिलाड़ी सायना नेहवाल और सिंधु के बाद 17 वर्षीय मालविका इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे युवा खिलाड़ी हैं। बाएं हाथ की खिलाड़ी ने फाइनल मुकाबले में उन्नति बिष्ट को महज 32 मिनट में 21-7, 21-9 से हराकर खिताब अपने नाम किया।

    मालविका ने कहा कि सिंधु के खिलाफ खेलने के बाद उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ा और वह भविष्य में आने वाली हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।

    मालविका ने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कहा, “गुवाहाटी में हुए सीनियर नेशनल्स में मैंने सिंधु का सामना किया। मैंने 40 मिनट तक उनका मुकाबला किया और मुझे 11-21, 13-21 से हार झेलनी पड़ी, लेकिन इस मैच से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला और मुझे एहसास हुआ कि मैं शीर्ष खिलाड़ियों के खिलाफ खेल सकती हूं।”

    मालविका ने कहा, “सिंधु जैसी खिलाड़ी के खिलाफ खेलकर पता चलता है कि हममें और उनमें कितना अंतर है। हमें कहां-कहां काम करना है। सिंधु बहुत लंबी है जिसका उन्हें बहुत लाभ मिलता है, उनकी स्पीड बहुत तेज है और उनके स्ट्रोक में बहुत पावर भी है। यह सब मैं एक दिन में नहीं सीख पाऊंगी क्योंकि यह सब चीजें उम्र के साथ बेहतर होती हैं, लेकिन मैं लगातार मेहनत करती रहूंगी।”

    भारत के जूनयर सर्किट में तीसरे पायदान पर मौजूद मालविका ने 11 वर्ष की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था और वह ताई जू-यिंग एवं लिन डैन को अपना आदर्श मानती हैं।

    मालविका ने कहा, “मुझे चीनी ताइपे की ताई जू-यिंग बहुत पसंद हैं। मैं उन्हें लंबे समय से फॉलो करती आ रही हो, मुझे उनके खेलने का तरीका और उनकी स्पीड बहुत पसंद है जिसे मैं अपने खेल में भी लागू करने का प्रयास करती हूं। पुरुषों में मुझे कई बार विश्व चैम्पियन रह चुके लिन डैन बहुत पसंद हैं। उनकी भी तकनीक बेहतरीन है जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।”

    नागपुर में रहने वाली मालविका को ट्रेनिंग के लिए रायपुर जाना पड़ता है और जिसके कारण वो बहुत समझदारी से अपने टाइम को मैनेज करती हैं और पढ़ाई पर भी ध्यान देने का प्रयास करती हैं। उन्हें अपने परिवार का पूरा समर्थन प्राप्त है, लेकिन उन्हें फंड की कमी से भी जूझना पड़ रहा है।

    मालविका ने कहा, “आर्थिक रूप से मुझे हमेशा परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि इतना अच्छा खेलने के बाद भी अभी तक मुझे कोई स्पांसर नहीं मिला। मैंने खेलो इंडिया में भी भाग लिया और वहां स्वर्ण पदक जीता, लेकिन इनाम में मुझे जो 1.2 लाख रुपये मिले उससे मेरी कुछ खास मदद नहीं हो पाई। हालांकि, इस चीज के कारण मैं अपने मनोबल को टूटने नहीं देती और लगातार बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करती हूं।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *