पियूष गोयल जिन्हे वित्त मंत्री अरुण जेटली की अनुपस्थिति में दूसरी बार अंतरिम वित्त मंत्री बनाया गया है, वे आगामी 2019 का बजट पेश करेंगे। पीयूष गोयल को कल अरुण जेटली की जगह भरने के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा वित्त मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था।
अरुण जेटली इस वक़्त अमेरिका में अपनी किडनी संबधित बीमारी का इलाज़ करा रहे हैं और उनके बदले इस बार का बजट पियूष गोयल पेश करेंगे।
ये एक बहुचर्चित बजट है और इसके दो कारण है। पहला ये कि ये मोदी सरकार का लोक सभा चुनाव से पहले का आखिरी बजट है और दूसरा ये है कि राजनीती में इस बात को लेकर सियासी पारा गरमा रहा है कि क्या नरेंद्र मोदी किसी धमाकेदार नीति या राहत उपाय के साथ जाएगी या आम चुनाव 2019 से पहले वोट-ऑन-अकाउंट की परंपरा का ही पालन करेगी।
पिछले हफ्ते, भारत के उद्योगपति की एक सभा को अमेरिका से विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए जेटली ने 2019 के बजट में कुछ बड़ी घोषणा होने के संकेत दिए थे जो आर्थिक रूप से विस्तारित होंगी। उन्होंने कहा कि बड़ा राष्ट्रिय हित ये बजट तय करेगा।
यह मोदी सरकार का पांचवा और आखिरी बजट है, क्योंकि देश में लोकसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में होने वाला है। एक प्रथा के रूप में, आम चुनाव की अगुवाई करने वाली सरकारें पूर्ण बजट पेश नहीं करती हैं ताकि अपने प्रस्तावित खर्चों और योजनाओं की विरासत को अगली सरकार पर नहीं छोड़े। इसके बजाय, ऐसी सरकारें ‘वोट-ऑन-अकाउंट’ प्रस्तुत करती हैं – मूल रूप से शेष अवधि तक काम जारी रखने के लिए सरकारी खजाने से पर्याप्त धन निकालने के लिए संसद से अनुमति लेती हैं।
सरकार विकास के लिए तीव्र दबाव में है, किसानों को राहत देना, उद्योग के लिए ऋण प्रवाह में आसानी करना – विशेष रूप से छोटे व्यवसाय और नौकरी में वृद्धि लाना। दूसरी ओर, यह राजकोषीय घाटे को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है, जो कि ऊपर सूचीबद्ध खर्चों को देखते हुए एक मुश्किल काम होगा।