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    देश में कोरोना के कम हो रहे मामलों के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सोसायटी की एक बैठक की अध्यक्षता की। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी शामिल हुए। इसमें प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, उद्योगपति और वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

    पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब वक्त बदला है और हमें किसी तकनीक के लिए सालों तक इंतजार नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि पहले कोई खोज जब दुनिया में कहीं होती थी तो भारत को उसकी तकनीक के लिए सालों तक इंतजार करना पड़ता था। आज हमारे वैज्ञानिक उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। हमारे वैज्ञानिकों ने एक साल में ही स्वदेशी कोरोना वैक्सीन तैयार कर दी। कोरोना की बीमारी से निपटने के लिए नई-नई दवाएं खोजीं। ऑक्सीजन के उत्पादन में इजाफे के लिए प्रयास किए।

    इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने भविष्य के लिहाज से भी प्लानिंग करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी आज हमारे सामने है। ऐसी ही कई चुनौतियां भविष्य के गर्भ में हो सकती हैं। उदाहरण के तौर पर क्लाइमेट चेंज को लेकर एक्सपर्ट लगातार आशंकाएं जाहिर कर रहे हैं। ऐसे में हमें ग्रीन हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी से लेकर कार्बन उत्सर्जन में कमी तक के मामले में लीड लेनी होगी। पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं सभी वैज्ञानिकों का पूरे देश की ओर से धन्यवाद अर्पित करता हूं। पीएम मोदी ने कहा कि वैक्सीन से लेकर वर्चुअल तकनीक तक में भारत ने तेजी से विकास किया है।’

    इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि बीती शताब्दी का अनुभव है कि जब पहले कोई खोज दुनिया के दूसरे देशों में होती थी तो भारत को उसके लिए कई-कई साल का इंतज़ार करना पड़ता था, लेकिन आज हमारे देश के वैज्ञानिक दूसरे देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं, उतनी ही तेज गति से काम कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी, पूरी दुनिया के सामने इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती बनकर आई है, लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है, जब-जब मानवता पर कोई बड़ा संकट आया है, साइन्स ने और बेहतर भविष्य के रास्ते तैयार कर दिए हैं।

    उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में सीएसआईआर विज्ञान, समाज और उद्योग जगत की इसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था का काम करता है।’’ सीएसआईआर सोसाइटी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग का हिस्सा है। इसकी गतिविधियां देश भर की 37 प्रयोगशालाओं और 39 आउटरीच केंद्रों तक फैली हैं। सोसाइटी के सदस्यों में नामचीन वैज्ञानिक, उद्योगपति और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इनकी बैठक सालाना होती है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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