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    पीएम मोदी ने दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो 2023 का किया उद्घाटन

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो 2023 का उद्घाटन किया। उन्होंने उत्तर और दक्षिण ब्लॉक में आगामी राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्चुअल वॉकथ्रू का भी उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर टेक्नो मेला, संरक्षण प्रयोगशाला और प्रदर्शित प्रदर्शनियों का भी अवलोकन किया। 47वें अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का जश्न मनाने के लिए आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है, जिसका विषय ‘संग्रहालय, स्थिरता और भलाई’ है।

    प्रधानमंत्री ने कहा, म्यूजियम में जो दिखता है, वो तथ्यों के आधार पर होता है, प्रत्यक्ष होता है, एविडेंस बेस्ड होता है। म्यूजियम में हमें एक ओर अतीत से प्रेरणाएँ मिलती हैं, तो दूसरी ओर भविष्य के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध भी होता है।

    उन्होंने कहा, गुलामी के सैकड़ों वर्षों के लंबे कालखंड ने भारत का एक नुकसान ये भी किया कि हमारी लिखित-अलिखित बहुत सारी धरोहर नष्ट कर दी गई। कितनी ही पांडुलिपियां, कितने ही पुस्तकालय, गुलामी के कालखंड में जला दिए गए, तबाह कर दिए गए। ये सिर्फ भारत का नुकसान नहीं हुआ है, ये पूरी दुनिया का, पूरी मानव जाति का नुकसान हुआ है।

    आज़ादी के अमृतकाल में भारत ने जिन ‘पंच-प्राणों’ की घोषणा की है, उनमें प्रमुख है- अपनी विरासत पर गर्व! अमृत महोत्सव में हम भारत की धरोहरों को संरक्षित करने के साथ ही नया कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर भी बना रहे हैं। देश के इन प्रयासों में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास भी है, और हजारों वर्षों की सांस्कृतिक विरासत भी है।

    हम स्वाधीनता संग्राम में अपनी ट्राइबल कम्युनिटी के योगदान को अमर बनाने के लिए 10 विशेष म्यूज़ियम्स भी बना रहे हैं, उन्होंने आगे जोड़ा।

    पीएम मोदी ने कहा कि, हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, बाबा साहेब आंबेडकर का जहां महापरिनिर्वाण हुआ, वो स्थान दशकों से बदहाल था। हमारी सरकार ने इस स्थान को, दिल्ली में 5 अलीपुर रोड को नेशनल मेमोरियल में परिवर्तित किया है। बाबा साहेब के जीवन से जुड़े पंच तीर्थ, महू में जहां उनका जन्म हुआ, लंदन में जहां वो रहे, नागपुर में जहां उन्होंने दीक्षा ली, मुंबई की चैत्य भूमि जहां उनकी समाधि है, ऐसे स्थानों का भी विकास किया जा रहा है। 

    भारत की 580 से ज्यादा रियासतों को जोड़ने वाले सरदार साहब की गगनचुंबी प्रतिमा- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आज देश का गौरव बनी हुई है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के भीतर भी एक म्यूजियम बना हुआ है।

    चाहे पंजाब में जलियावालां बाग हो, गुजरात में गोविंद गुरू जी का स्मारक हो, यूपी के वाराणसी में मान महल म्यूजियम हो, गोवा में म्यूजियम ऑफ क्रिश्चियन आर्ट हो, ऐसे अनेक स्थानों को संरक्षित किया गया है। 

    हमने राजधानी दिल्ली में देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की यात्रा और योगदान को समर्पित पीएम-म्यूज़ियम बनाया है। आज पूरे देश से लोग आकर पीएम म्यूज़ियम में, आज़ादी के बाद की भारत की विकास यात्रा के साक्षी बन रहे हैं।

    उन्होंने एक साझी चुनौती का भी जिक्र किया। कलाकृतियों की तस्करी, भारत जैसे प्राचीन संस्कृति वाले देश सैकड़ों वर्षों से इससे जूझ रहे हैं। आजादी के पहले और आजादी के बाद भी हमारे देश से अनेकों कलाकृतियां Unethical तरीके से बाहर ले जाई गई हैं। हमें इस तरह के अपराध को रोकने के लिए मिलकर काम करना होगा।

    उन्होंने दुनियाभर के म्यूजियम से जुड़े लोगों से अपील किया कि इस क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाएं। किसी भी देश के किसी भी म्यूज़ियम में कोई ऐसी कलाकृति नहीं हो, जो unethical तरीके से वहाँ पहुंची हो। हमें सभी म्यूज़ियम्स के लिए इसे एक moral commitment बनाना चाहिए।

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