अफगानिस्तान में लाइब्रेरी के निर्माण करवाने की नरेन्द्र मोदी की इच्छा की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आलोचना की थी। विदेश मंत्रालय के हवाले से मीडिया एजेंसी ने कहा कि हमने विदेशों में अपनी सैन्य टुकड़ी तैनात नहीं की है क्योंकि हम संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान के साथ है।
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली अफगानिस्तान में विकास साझेदार की की सार्थक भूमिका का निर्वाह कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत को यकीन है कि विकास सहयोग में उनकी महत्पूर्ण भूमिका मानवीय जीवन को बदल सकती है। भारत अफगानिस्तान में विकास के लिए एक सार्थक भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि अफगान सरकार के साथ यह साझेदारी विशिष्ट जरूरतों और आवश्यकताओं के कारण बनी है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वह नरेन्द्र मोदी के साथ थे, “भारतीय प्रधानमन्त्री ने निरंतर अफगानिस्तान में एक लाइब्रेरी के निर्माण की बात मुझसे कही थी। हमने पांच घंटे इस पर चर्चा करने में व्यतीत किये थे और मुझे लाइब्रेरी के लिए धन्यवाद कहना पड़ा था। मुझे नहीं पता अफगानिस्तान ने इस लाइब्रेरी का इस्तेमाल कौन करेगा।”
इस प्रोजक्ट में काबुल में स्थित एक हाई स्कूल का दोबारा निर्माण और प्रतिवर्ष 1000 अफगानी छात्रों को भारत में स्कालरशिप है। साल 2015 में अफगान संसद का भारत द्वारा दोबारा निर्माण के उद्धघाटन के वक्त नरेन्द्र मोदी ने अफगान के युवाओं को आधुनिक शिक्षा से सशक्त और प्रोफेशनल स्किल के कार्यक्रम का प्रचार करने का वादा किया था