मलेशिया के प्रधानमन्त्री महातिर मोहम्मद ने मंगलवार को पीएम मोदी द्वारा जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण की बात करने के दावे को खारिज किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमन्त्री मोदी ने मलेशिया के पीएम से इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण करने का आग्रह किया था।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि “बहुत सारे देश नाइक को नहीं चाहते हैं। भारत ने कोई आग्रह नहीं किया। मैंने प्रधानमन्त्री मोदी से मुलाकात की थी, उन्होंने मुझसे नहीं कहा कि उन्हें नाइक वापस चाहिए। यह आदमी भारत के लिए समस्या उत्पन्न करने वाला हो सकता है।”
रूस की पूर्वी सिटी में पांचवे पूर्वी आर्थिक मंच की बैठक के इतर नरेंद्र मोदी और महातिर मोहम्मद ने मुलाकात की थी। उनकी मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि “पीएम मोदी ने जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया था। दोनों पक्ष इस सन्दर्भ में सम्बंधित विभागों के अधिकारियो के संपर्क में रहने पर रजामंद हुए हैं और हमारे लिए यह एक महत्वपूर्ण मामला है।”
पूर्ववर्ती सरकार द्वारा नाइक को स्थायी नागरिकता प्रदान करने के बाबत महातिर मोहमद ने कहा कि “कुआला लुम्पुर नाइक को भेजने के लिए एक उपयुक्त स्थान की तलाश कर रहा है।” अगर नाइक ने देश में समस्याओ को उत्पन्न किया है तो सरकार ने उसे देश में रहने की क्यों अनुमति दी थी? इस बाबत मोहमद ने कहा कि ” हमने नहीं बल्कि पूर्व सरकार ने दी थी।”
उन्होंने कहा कि “एक एक स्थान ढूढने की कोशिश कर रहे हैं जहां उसे भेज सके लेकिन उसे कोई स्वीकार नहीं करना चाहता है। मोहमद ने आश्वस्त किया कि नाइक को मलेशिया में सार्वजानिक भाषण नहीं देने दिया जायेगा।”
महातिर मोहम्मद ने कहा कि “वह इस राष्ट्र का नागरिक नहीं है। उसे सिर्फ पूर्व सरकार ने स्थायी दर्जा दिया है। स्थायी नागरिकता का यह मतलब नहीं कि देश की प्रणाली या राजनीति पर कोई भी बयानबाजी की जाए। उन्होंने इसका उल्लंघन किया है और अब उन्हें सार्वजानिक भाषण देने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
हाल ही में अपने प्रत्यर्पण के सवाल पर प्रतिक्रिया दी कि चीनी नागरिको को सबसे पहले अपने मुल्क वापस लौट जाना चाहिए क्योंकि वह देश में सबसे पुराने मेहमान है।”
उनके भाषण का कई पक्षों ने विरोध किया था। जाकिर नाइक ने मलेशिया के हिन्दुओं की तुलना भारत के मुस्लिमो से की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के मुकाबले मलेशिया में हिन्दू नागरिक सौ फीसदी अधिकारों का लुत्फ़ उठा रहे हैं।